हनुमानजी का दिखाया डर
गांव में जो भी लोग शराब पीते थे उन सभी ने शराब से हमेशा के लिए तौबा कर ली है। सरपंच मीरा ने गांव की महिलाओं को अपने साथ लेकर उनके माध्यम से शराब के आदी ग्रामीणों पर लगातार दबाव बनाया। महिला सरपंच पूरे गांव में शराबखोरी के खिलाफ ऐसा माहौल बनाने में कामयाब हुईं जिसमें शराबियों को हीन दृष्टि से देखा जाने लगा। यही नहीं शराब पिए हुए पाए जाने पर अथवा किसी प्रकार के अपराध से जुड़े होने की स्थिति में ऐसे लोगों को तमाम शासकीय योजनाओं के लाभों से वंचित कर दिए जाने की चेतावनी दी गई।
हनुमान मंदिर में शपथ नशे के आदी लोगों को गांव के हनुमान मंदिर में ले जाकर शराब छोडऩे की शपथ दिलाए जाने का सिलसिला शुरू किया गया। जब एक बार किसी ने हनुमानजी के सामने शपथ ले ली तो फिर उनके भय के कारण शराब को हाथ लगाने से भी परहेज करने लगा। इस प्रकार के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और नैतिक दबाव के चलते गांव में एक तरह की क्रांति हुई और आज गांव का कोई भी व्यक्ति शराब को हाथ तक नहीं लगाता।
हुआ मंच पर सम्मान नशा छोडऩे वालों को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर सम्मानित भी किया जाता है। 57 वर्षीय कुंवरलाल कोरी बताते हैं कि वे पिछले 35 वर्षों से शराब पीते आ रहे थे पर लोगों की समझाईश और भगवान की कृपा से उनकी शराब छूट गई। 55 वर्षीय एक अन्य बुजुर्ग बर्मन कहते हैं कि सरपंच जी की प्रेरणा से गांव के हनुमान मंदिर में नारियल चढ़ाकर उन्होंने सदा के लिए शराब का त्याग कर दिया। सरपंच पटेल तथा उनके पति पूर्व सरपंच परशुराम पटेल के ईमानदार प्रयासों और टीआई नागोतिया की प्रेरणा से ग्रामीणों की मानसिकता में आए सकारात्मक परिवर्तन के चलते गांव आखिरकार शराब के अभिशाप से पूरी तरह मुक्त हो गया। इतना ही पिछले दो वर्षों से इस गांव में कोई भी अपराध नहीं हुआ है।