इस वर्ष आषाढ़ की गुप्त नवरात्र अमृतसिद्धि योग में मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस योग में जो भी शुभ कार्य किया जाता है, उसकी स्वत: सिद्धि होती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्र पर माताजी अश्व पर आरूढ़ होकर आएंगी। शक्तिपीठों में गुप्त नवरात्र की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। शनिवार को शुभमुहूर्त में आस्था के साथ गुप्त नवरात्र की घटस्थापना की जाएगी।
दिवस के अनुसार पूजन छह जुलाई को घटस्थापना या कलश स्थापना, मां शैलपुत्री पूजा होगी। सात को माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, आठ को माता चन्द्रघण्टा की पूजा, नौ को मां कूष्माण्डा की पूजा होगी। दस को माता के स्कन्दमाता स्वरूप की पूजा, 11 को माता कात्यायनी व 12 को माता कालरात्रि की पूजा होगी। 13 को दुर्गाअष्टमी मनाई जाएगी व महागौरी की पूजा होगी। 14 को माता सिद्धिदात्री की पूजा होगी और 15 जुलाई को नवरात्र व्रत का हवन, पारण होगा।
ये हैं देवी की दस महाविद्याएं मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती,मां बगलामुखी, मां मातंगी व मां कमला। ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला ने बताया कि साल में दो गुप्त नवरात्र, एक चैत्र नवरात्र और एक शारदीय नवरात्र होती है। तंत्र-मंत्र की साधना के लिए आषाढ़ की गुप्त नवरात्र अच्छी मानी जाती है। गुप्त नवरात्र में रात्रि को साधना का महत्व है।
गौरी तृतीया व्रत अहम गुप्त नवरात्र की गौरी तृतीया व्रत 8 जुलाई को है। इस दिन विवाहित महिलाएं और विवाह योग्य युवतियां व्रत रखती हैं। मान्यता है कि गौरी तृतीया व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, पति की आयु बढ़ती है। इसके अलावा मनचाहे जीवनसाथी की मनोकामना भी पूर्ण होती है। इस दिन माता पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गुप्त नवरात्र की पूजा के लिए कलश स्थापना का मुहूर्त छह जुलाई सुबह 5.11 बजे से सुबह 7.26 बजे तक है। इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह सुबह 11 बजे से शुरू होकर दोपहर 12 बजे तक है। इस मुहूर्त को कलश स्थापना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।