जबलपुर

green corridor- जबलपुर में पहली बार बना ग्रीनकोरिडोर, 19 मिनिट में 16 किमी दौड़ी जिंदगी -देखें वीडियो

जज्बे को सलाम : एक-एक मिनट को जंग जैसा मानकर हुए प्रयास, डेढ़ साल की कोशिश, जीती जिंदगी साक्षी बनी संस्कारधानी

जबलपुरJul 25, 2017 / 11:31 am

Lalit kostha

जबलपुर। जिले में ऑर्गन एवं टिश्यू प्रत्यारोपण के लिए डेढ़ वर्ष से प्रयास किए जा रहे थे। इसमें पहली बार सफलता मिली। अंगदान के प्रति परिवार ने स्वयं जागरुकता का परिचय दिया। वे हिम्मत बांधकर आगे आए। इसके बाद जबलपुर में ग्रीन कॉरिडोर बन सका। परिवार की सहमति मिलने के बाद जिला प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय हो गया। दोपहर 12 से रात 10.30 बजे तक पांच लोगों को जीवन देने के प्रयास में प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी। 10 घंटे 30 मिनट के अंतराल में डॉक्टरों से लेकर अस्पताल प्रबंधन, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने एक-एक मिनट को जंग जैसे लिया।


ये बने पहली कड़ी, जिससे संभव हुआ अंगदान
जानकारी के अनुसार केदार द्विवेदी का 21 जुलाई को सुबह 5.30 बजे एक्सीडेंट हुआ था। इस दौरान घंटाघर निवासी कॉलेज छात्र जियाउद्दीन ने सड़क पर उन्हें पड़ा हुआ देखा। बाइक उनके ऊपर पड़ी थी। उन्होंने घटना की सूचना पुलिस को दी। राहगीरों से मदद मांगी, पर कोई आगें नहीं आया। बाद में वे अपनी कार से केदार को लेकर जबलपुर हॉस्पिटल गए। जहां से परिजन उन्हें नागपुर ले गए। बाद में एक निजी अस्पताल में रखा और फिर अंगदान की इच्छा जताने के बाद रविवार रात सिटी हॉस्पिटल लाए।


अफसरों ने दिखाया भरोसा, सफल हुआ कठिन मिशन
जिले में ऑर्गन एवं टिश्यू प्रत्यारोपण के लिए डेढ़ वर्ष से प्रयास किए जा रहे थे। इसमें पहली बार सफलता मिली। अंगदान के प्रति परिवार ने स्वयं जागरुकता का परिचय दिया। वे हिम्मत बांधकर आगे आए। इसके बाद जबलपुर में ग्रीन कॉरिडोर बन सका। परिवार की सहमति मिलने के बाद जिला प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय हो गया। दोपहर 12 से रात 10.30 बजे तक पांच लोगों को जीवन देने के प्रयास में प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी। 10 घंटे 30 मिनट के अंतराल में डॉक्टरों से लेकर अस्पताल प्रबंधन, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने एक-एक मिनट को जंग जैसे लिया।


इन डॉक्टरों की टीम ने की जांच- डिवीजनल ऑर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन यानी डोटो की अनुमति मिलने के बाद केदार द्विवेदी के ब्रेन डेड होने की जांच मेडिकल कॉलेज के लिवर स्पेशलिस्ट व नोडल ऑफिसर (डोटो) डॉ. राहुल रॉय, न्यूरो सर्जन डॉ. प्रशांत कुशवाहा, न्यूरो फिजीशियन डॉ. एलएन शर्मा, डॉ. प्रदीप पटेल, यूरो सर्जन डॉ. अंकित फुसकोले ने जांच की। रविवार रात दो बजे टीम ने आधिकारिक रूप से केदार को ब्रेन डेड घोषित किया।


पारिवारिक मित्र विजय जैन से करते थे जिक्र
विजय जैन चुन्ना के अनुसार तीन वर्ष पूर्व इंदौर में उनके साले सड़क दुर्घटना में घायल हुए थे। इस दौरान उनका ब्रेन डेड हो गया था। उनका अंगदान नौ लोगों को किया गया था। वे अक्सर इसकी चर्चा केदार से किया करते थे। चुन्ना के अनुसार चार माह पहले जब केदार की बायपास सर्जरी हुई थी, उस दौरान भी वे कह रहे थे कि यदि मुझे जिंदगी में कभी कुछ हो जाए तो मेरे परिवार को अंगदान के लिए समझा लेना। मेरे अंगों से कुछ लोगों को जिंदगी मिल जाएगी। इस घटना के बाद चुन्ना ने परिवार से इस बात का जिक्र किया था। 


जीवन संगिनी ने दिखाई हिम्मत
जबलपुर. केदार द्विवेदी के पारिवारिक मित्र विजय जैन की पहल पर परिवार के लोग अंगदान के लिए सहमत हुए। द्विवेदी की पत्नी गीता ने बताया कि केदार हमेशा बोलते थे कि यदि उन्हें कुछ हो जाए तो शरीर के जो भी अंग काम के हैं, उन्हें दान कर देना। जैन की पहल पर गीता ने हिम्मत दिखाई और पति की अंतिम इच्छा पूरी करने अंगदान की सहमति जताई। गीता ने परिवार के अन्य सदस्यों से भी इस पर चर्चा की। जिन्होंने इस पर सहमति जता दी। 

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शरद जैन से मिले
केदार द्विवेदी के पुत्र मनोज ने बताया कि वे पुणे में इंजीनियर हैं। बहन कृति भी पुणे में है। मनोज ने कहा कि उन्होंने इस उम्मीद में अंग निकालने की रजामंदी दी कि दिल्ली-इंदौर और भोपाल से आने वाले चिकित्सक आएंगे तो शायद किसी चमत्कार से उनके पिता को बचा लें। 26 वर्षीय कृति ने भी परिवार वालों को पिता की आखिरी ख्वाहिश पूरी करने की अनुमति दी। इसके बाद परिवार के लोगों के सामने संकट था कि जबलपुर में कहां अंगदान किया जाएगा। 

प्रमाण-पत्र लेकर पहुंचे परिजन
उन्होंने मेडिकल कॉलेज में संपर्क साधा। बाद में परिवार के लोग शरद जैन से मिलने पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से बात की और मरीज को तत्काल सिटी हॉस्पिटल स्थानांतरित करने के निर्देश दिए, जिसके बाद परिवार स्वघोषित प्रमाण-पत्र के साथ सिटी हॉस्पिटल पहुंचा। परिवार के अशोक द्विवेदी ने बताया कि रात 2 बजे अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें जानकारी दी कि सोमवार को केदार के अंगों को निकालने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर पहुंचेंगे।

एम्बुलेंस की व्यवस्था
कमिश्नर व कलेक्टर से अनुमति मिलने के बाद ऑर्गन ले जाने के लिए दिल्ली से स्पेशल एयर एंबुलेंस की व्यवस्था कराई गई।

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