मुकेश फडणीस, अनुराग गढ़ावाल व जलज जैन ने बताया कि श्री दिगम्बर जैन शासनोदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र, हनुमानताल के पार्शवनाथ दिगम्बर जैन मंदिर 15 वीं शताब्दी का मंदिर है। जिनालय में 1542 से 1548 तक की प्राचीन मूर्तियां विराजमान हैं। कलचुरी कालीन कलापूर्ण आकृति से युक्त भगवान आदिनाथ की मनोहारी प्रतिमा राजा कर्ण के समय की है। 2011 में मुनिपुंगव सुधासागर के मार्ग-निर्देशन में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। आदिनाथ भगावान की प्रतिमा को नवीन आसन में विराजमान किया गया। इसी के साथ देवों द्वारा केसर की वृष्टि प्रारंभ हो गई और आदिनाथ भगवान नगर के इष्ट देवता के नाम से जाने जाने लगे।
जिज्ञासा समाधान –
सायं छह बजे से आचार्य भक्ति, जिज्ञासा समाधान व सामूहिक आरती हुई। संजीव चौधरी, नीलेश ङ्क्षसघई, प्रदीप एचबी, आनंद ड्योडिया, योगेंद्र कुमार जैन, मनीष पंडित, दीना लोहा, देवेंद्र मुंशी, पदम भक्ताम्बर, अमित जैन, मोनू सहारा, मिङ्क्षलद जैन, मनीष कौशल, विवेक जैन, प्रदीप मिश्रा, कल्याणमल जैन, राकेश दाऊ, राकेश राकेन्दु, शैलेष चौधरी, पवन बहूरानी, सुभाष जतारा, विवेक जैन उपस्थित थे। अमित पडरिया ने संचालन किया।