उद्यमी और एफपीओ दिखा रहे रुचि: नए निवेश के साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे कच्चा माल भरपूर जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र ने यूं तो सभी तहसीलों के तहसीलदारों को पत्र लिखकर फूड क्लस्टर के लिए भूमि मांगी है, लेकिन प्राथमिकता पाटन और शहपुरा को दी जा रही है। इसकी वजह यह है कि यहां पर इन इंडस्ट्री के लिए कच्चा माल भरपूर मात्रा में मिल सकता है। यह दोनों ही क्षेत्र गेहूं और धान के अलावा मटर के व्यापक उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। यहां मौसमी सब्जी और फलों का उत्पादन भी खूब होता है। इन दोनों क्षेत्रों से हाइवे निकलते हैं। अभी रिंग रोड भी बन रही है।
इन क्षेत्रों में ज्यादा संभावनाएं जानकारी के अनुसार मैदा मिल, आटा मिल, धान मिल, दुग्ध उत्पाद, मटर के उत्पाद, सिंघाड़ा आटा, मक्खन और घी का निर्माण, चना और मुरमुरा की भुनाई, बेसन, धनिया पावडर, बिस्किट, नमकीन, मिठाइयां, बेकरी, चॉकलेट, कोदो और कुटकी की पैकिंग व मिठाइयां, मक्का के उत्पाद में संभावना है।
खास-खास
- बैंक भी देते हैं प्राथमिकता, 51294 लाख का ऋण निवेशकों के लिए आरक्षित रखा।
- अलग प्रकार के अनाज का उत्पादन, 16 लाख 69 हजार मीट्रिक टन होती है पैदावार।
- हर साल 7 लाख 26 हजार मीट्रिक टन होती है अलग-अलग प्रकार की सब्जियों की उपज।
- दूध का 4 लाख 33 हजार लीटर प्रतिदिन के हिसाब से उत्पादन, बाहरी राज्यों में सप्लाई।
- मटर की सात इकाइयां, 16 हजार मीट्रिक टन का प्रसंस्करण जबकि पैदावार 3 से 4 लाख मीट्रिक टन।
हाल में मप्र इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कारपोरेशन ने 10 नए उद्यमियों को अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों में जगह आवंटित की है, उसमें सबसे ज्यादा निवेश वाले क्षेत्र में फूड इंडस्ट्री शामिल हैं। इनमें 85 करोड़ रुपए का नया निवेश आ रहा है। तो 300 लोगों को रोजगार मिलने की उमीद है। ऐसी और कंपनियां यहां आना चाहती हैं। लेकिन जगह का अभाव है। इसलिए उद्योग विभाग फूड क्लस्टर बनाना चाहता है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की संभावनाओं के मामले में जबलपुर अग्रणी जिलों में शामिल है। इसलिए निवेशक अपना निवेश इस क्षेत्र में करना चाहते हैं। इसबात को ध्यान रखकर यहां पर फूड क्लस्टर की स्थापना की जानी है। प्रशासन के जरिए 30 से 40 एकड़ जमीन मांगी गई है। इसमें पाटन और शहपुरा को प्रमुखता दी है।