आईपीएस बनने का सपना था, वक्त ने बना दिया कॉमेडियन
स्टैंड अप कॉमेडियन व अभिनेता बलराज ने पत्रिका से साझा किए जीवन के अनछुए पल
जबलपुर। छोटे पर्दे पर कई कॉमेडी शोज की सफल होस्टिंग करने वाले मशहूर कॉमेडियन व अभिनेता बलराज की बचपन में तमन्ना थी कि वे पढ़ाई करने के बाद वर्दी पहनकर देश की सेवा करेंगे। वे आईपीएस अधिकारी बनना चाहते थे। लेकिन वक्त की धारा में बहते-बहते वे कब कॉमेडी व अभिनय की दुनिया की ओर मुड़ गए, उन्हें एहसास ही नहीं हुआ। पत्रिका से विशेष बातचीत के दौरान बलराज ने अपनी जिंदगी का यह राज साक्षा किया।
पढ़ाई से मिला आईक्यू बहुत काम आया
३६ वर्षीय बलराज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बचपन में उनका ध्यान पढ़ाई में अधिक रहने से उनका आईक्यू अच्छा हो गया। यह उन्हें कॉमेडी, विशेषकर स्टैंडअप प्रस्तुतियों के दौरान बहुत काम आया। स्टेज पर तत्काल किसी भी बात को हास्य का विषय बना देना उन्हें इसी से आया।
स्टैंडअप कॉमेडी व पर्दे में अंतर
रुपहले पर्दे (फिल्म), छोटे पर्दे (टीवी ) व स्टेज परफारमेंस में अंतर के सवाल पर बलराज ने कहा कि रुपहले व छोटे पर्दे पर सीन मनमुताबिक फिल्माए जाने के लिए कई टेक-रीटेक हो सकते हैं। लेकिन स्टैंड अप कॉमेडी में टेक-रीटेक के लिए गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि स्टैंड अप कॉमेडी विशुद्ध हास्य का सबसे गंभीर रूप है।
मिमिक्री व कॉमेडी अलग-अलग
बलराज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कॉमेडी व मिमिक्री बिल्कुल अलग-अलग विधाएं हैं। उन्होंने कहा कि आजकल मिमिक्री को कॉमेडी समझ लिया जाता है। मिमिक्री केवल नकल के जरिए हास्य पैदा करने की कला है। जबकि कॉमेडी पूर्ण हास्य उत्पन्न करने की विधा है, जिसमें मिमिक्री भी समाहित है।
गम्भीर, कटाक्ष की कॉमेडी कम हुई
उन्होंने कहा कि आजकल गंभीर व सामाजिक समस्याओं, व्यवस्था पर चोट करने वाली कटाक्ष की कॉमेडी कम हो गई है। इसकी वजह है कि कटाक्ष को दलगत राजनीति से जोड़कर देखा जाना। इसकी वजह से हास्य कलाकारों ने इन विषयों पर कटाक्ष करने से परहेज सा कर रखा है। कुछ नामी कॉमेडियन अभी भी संतुलित तरीके से गंभीर कटाक्ष की कॉमेडी करते हैं, जो इस विधा को जिंदा रखने के लिए जरूरी है।
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