हालांकि, कंपनियों की डिमांड के अनुरूप ही अगर बिजली दरों में बढ़ोतरी कर दी गई तो ये प्रदेश के गरीब परिवारों के लिए तो दूर मध्यम वर्गीय परिवार की जेब पर भी भारी पड़ने लगेगा। नई व्यवस्था लागू होती है तो प्रति यूनिट 58 पैसे तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा इन बढ़े हुए बिजली बिलों में 12 फीसदी सर्विस टैक्स भी प्रति वर्ष की दर से बढ़ जाएगा।
आपको बता दें कि, बीते एक साल के भीतर ये तीसरी बार है जब मध्य प्रदेश के उपभोक्ताओं पर तीसरी बार बिजली दरों के बढ़े हुए भार का बोझ बढ़ेगा। प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों (पूर्व, मध्य और पश्चिम) की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 48 हजार 874 करोड़ रुपए की जरूरत है। इनमें सबसे ज्यादा 19 हजार 428 करोड़ रुपए पश्चिम क्षेत्र कंपनी खर्च करेगी। वहीं, सबसे कम खर्च पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करेगी। जबकि, इस कंपनी के कार्यक्षेत्र में 20 जिले शामिल हैं। कंपनी का दावा है कि, उसे इस जरूरत के मुकाबले मौजूदा बिजली दर पर 3915 करोड़ रुपए कम प्राप्त होंगे। इसकी भरपाई करने के लिए उसे बिजली दरों में 8.71 फीसदी की बढ़ोतरी करनी होगी।
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…तो इतने महंगे हो जाएंगे बिजली बिल (रेट प्रति यूनिट)
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