Electric Scooters : सड़कों पर 50 हजार ईवी, बंद हुआ तो सर्विसिंग सेंटर ढूंढ़ते हैं चालक
Electric Scooters : आ रही ये दिक्कत
शहर में ई वीकल सुधारने वाले विशेषज्ञों की कमी है। सुधारने वाले मैकेनिक मिल भी जाते हैं तो ज्यादातर ई वीकल कंपनियों के वाहनों पुर्जे तत्काल आसानी से नहीं मिल पाते। कई बार ईवीकल कंपनी से पुर्जे आने में ज्यादा समय लग जाता है। इस कारण सुधार कार्य में देरी होती है। वाहन की बॉडी क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत की लागत ज्यादा होती है। ई-वीकल में बैटरी की समस्या, मोटर की समस्या और इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट की समस्या ज्यादा होती है।Electric Scooters : शहर में ई वीकल
50 हजार ई वीकल हैं शहर में 30 हजार के लगभग ई रिक्शा 20 हजार से ज्यादा ई बाइक, ई कारElectric Scooters : तकनीकी समस्या ढूंढना मुश्किल
कई बार ई-वीकल में आई तकनीकी की समस्या का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मरम्मत में देरी हो जाती है। सामान्य मैकेनिक से ई-वीकल का सुधार कराने के दौरान इलेक्ट्रिक शॉक का खतरा भी रहता है। ईवीकल की मरम्मत के लिए प्रशिक्षण की कमी है। वहीं ई-वीकल की मरम्मत के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है, जो हर जगह उपलब्ध नहीं होते हैं। Electric Scooters : ई वीकल समय की मांग है, ऐसे में ई बाइक, ई कार, ई रिक्शा की संख्या बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन उसी अनुपात में सर्विसिंग सेंटर से लेकर कल पुर्जे उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। शासन-प्रशासन के स्तर पर इस दिशा में प्रयास किए जाना चाहिए। शहर में शो रूम संचालित कर रही ई वीकल कंपनी पर्याप्त संख्या में सर्विस सेंटर शुरू करें।
शुभेन्द्रु मित्रा, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर