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जबलपुर

Elders in India : बुजुर्गों से दूर सरकारी मदद, हाथ की रेखाएं घिसीं तो सिस्टम ने भी छोड़ा साथ

Elders in India: मध्यप्रदेश के उमरिया की लक्ष्मीबाई हो, राजस्थान में भरतपुर की गुल्लोदेवी या छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा की श्याम बाई, सबकी कहानी एक जैसी है। 70 से 75 वर्ष की इन वृद्ध महिलाओं के हाथ की रेखाएं क्या धुंधली पड़ी, भाग्य की रेखाएं ही सिकुड़ गईं…अब इन्हें सरकारी राशन भी या तो मिलता नहीं और यदि मिलता है तो नॉमिनी या फिर कोटेदार की दया पर आश्रित रहना पड़ता है…पढ़ें राजेंद्र गहरवार की रिपोर्ट…

जबलपुरFeb 26, 2024 / 10:19 am

Sanjana Kumar

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मध्यप्रदेश के उमरिया की लक्ष्मीबाई हो, राजस्थान में भरतपुर की गुल्लोदेवी या छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा की श्याम बाई, सबकी कहानी एक जैसी है। 70 से 75 वर्ष की इन वृद्ध महिलाओं के हाथ की रेखाएं क्या धुंधली पड़ी, भाग्य की रेखाएं ही सिकुड़ गईं। अब इन्हें सरकारी राशन भी या तो मिलता नहीं और यदि मिलता है तो नॉमिनी या फिर कोटेदार की दया पर आश्रित रहना पड़ता है।

इनकी तरह देश के लाखों बुजुर्ग इस दंश को झेल रहे हैं। संकट कहीं इससे अधिक गहरा है। जिस तरह बूढ़ी आबादी बढ़ रही है, उनकी समस्याओं के निदान और संभालने के लिए सिस्टम तैयार नहीं है। इन बुजुर्गों की आधी आबादी कुपोषण की समस्याओं से जूझ रही है। दरअसल, हर साल देश की आबादी तीन फीसदी की दर से बूढ़ी हो रही है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार भारत की मौजूदा बुजुर्ग आबादी 10 फीसदी से बढ़कर दो दशक में 20 फीसदी तक पहुंच जाएगी। 2050 तक बुजुर्गों की संख्या देश में 35 करोड़ से ऊपर होगी।

 


देश में दशकों के प्रयास से शिशु और बच्चों के लिए व्यापक मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है। गर्भ में आने से लेकर जन्म, स्वास्थ्य, चिकित्सा, पढ़ाई और पोषण तक व्यापक प्रबंध किए गए हैं। इसमें गर्भवती की देखभाल, संस्थागत प्रसव, एसएनसीयू और आंगनबाड़ी केंद्र शामिल हैं। लेकिन बुजुर्गों के लिए ऐसा सिस्टम विकसित नहीं हो पाया है। जबकि 2036 तक ही बुजुर्गों की आबादी बच्चों (14 वर्ष तक) से अधिक हो जाएगी।

छत्तीसगढ़… जांजगीर-चांपा. 70 वर्षीय श्याम बाई को सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा। घर वालों ने भी बेदखल कर दिया। बीते 20 वर्ष से कुटिया में रहकर जैसे तैसे अपना जीवन गुजार रही हैं। न छत है न सामाजिक पेंशन का सहारा। सरकार की चावल योजना का भी इनको फायदा नहीं। लोगों की दया पर जीवन बिता रही हैं।

राजस्थान…भरतपुर . हाथों की घिस चुकी रेखाओं के साथ बूढ़ी आंखों की पुतलियां भी स्कैन नहीं हो पाती। ऐसे में पेंशन की टेंशन बढ़ गई है। यही वजह है कि दो माह से शहर की गुल्लो देवी (72) पेंशन के लिए चक्कर काट रही है। बैंक मित्र के यहां न तो उसका अंगूठा लग रहा है और न ही वृद्धा हस्ताक्षर कर पा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा। सरकारी स्तर पर इन मुश्किलों का तोड़ नहीं।

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