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जबलपुर

यहां बन रहे हैं ईको फ्रेंडली गणपति बप्पा देंगे नेचर और भक्तिका गुड मैसेज

जबलपुर के युवा मूर्तिकारों ने शुरू किए ईको फ्रेंडली गणेश बनाना, कलर से लेकर गहने तक होंगे नेचुरल
 
 

जबलपुरJul 13, 2020 / 09:09 pm

shyam bihari

eco ganesh

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जबलपुर। गणेशोत्सव की जबलपुर में भी अलग पहचान है। शहर में गणेश जी की मूर्तियों का काम शुरू हो गया है। पिछले कुछ साल में लोगों में जागरुकता आई है, जिसका परिणाम है कि अब अधिकतर मूर्तिकार ज्यादा से ज्यादा ईको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने लगे हैं। खासकर यंग मूर्तिकार नेचर और आस्था के बीच गुड मैसेज देने के लिए ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं। मूर्तिकार विकास का कहना है कि सार्वजनिक पंडालों से लेकर घरों में रखने वाले गणेश भक्तअब प्राकृतिक रंगों व ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की डिमांड कर रहे हैं। पीओपी की प्रतिमाओं को लोगों ने टोटल बाहर कर दिया है। इस साल जितने भी ऑर्डर मिले हैं वे सभी ईको फ्रेंडली मिट्टी से बने गणेश प्रतिमाओं के हैं। छोटी गणेश प्रतिमाओं में फल, फूल या छायादार वृक्षों के बीज भी लगाए जाएंगे, ताकि जहां भी विसर्जन हो, वहां एक पौधा उनकी याद में लग जाए। हम सभी को पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं।
पौधा बनकर रहेंगे घर
मूर्तिकार हरीश गुप्ता,संचिता गुप्ता और सुनील सूर्यवंशी द्वारा मिट्टी, गेरू, पीली मिट्टी, चारकोल, चूना, लाल? मिट्टी, चाक मिट्टी, गोंद, रूई आदि नेचुरल चीजों से गणेश जी की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। हरीश ने बताया कि गणेश जी के ऑर्डर देने पर टेराकोटा का एक हवन कुंड भी दिया जाएगा। जिसमें पूजन पश्चात विसर्जन किया जा सकेगा। साथ ही सीड बॉल भी मिलेगी जो गणेश जी की मिट्टी में पौधा बनकर हर समय भक्तों के पास रहेगा। कोरोना के चलते लोगों को होम डिलेवरी की सुविधा भी दी जाएगी।
ये हैं नुकसान
पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अजय खरे के अनुसार पीओपी और प्लास्टिक से बनी प्रतिमाओं में खतरनाक रसायनिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। यह रंग न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी काफी हानिकारक होते हैं। जब पीओपी से बने बप्पा का विसर्जन किया जाता है तो पीओपी पानी को दूषित कर देता है और जल्दी घुलता भी नहीं। इससे पानी की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। वहीं पानी में घुल जाए तो पीओपी पानी की सतह पर जमा हो जाता है। इन प्रतिमाओं के रसायनिक रंग पानी में मिल जाते हैं और बाद में इसी पानी का इस्तेमाल खाना पकाने और नहाने जैसे कामों में किया जाता है। ऐसे पानी के इस्तेमाल से लोग बीमार भी हो जाते हैं। कुछ मूर्तिकार पेपर मैश या गोबर से भी गणेश प्रतिमाएं बनाते हैं। ऐसी मूर्तियां खरीदने के लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है क्योंकि कम ही लोग इसे बनाते हैं। पेपर और गोबर से बनी मूर्ति विसर्जन के बाद आसानी से मिट्टी के साथ घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।

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