जबलपुर

पर्यावरण के दुश्मनों ने उजाड़ दिए शहर के आसपास के जंगल

अंधाधुंध कटाई से कई एकड़ में नजर नहीं आते पेड़
 

जबलपुरJan 11, 2020 / 08:53 pm

prashant gadgil

trees cut

जबलपुर . शहर के आसपास का जंगल उजड़ रहा है। कुछ दशकों पहले आसपास की पहाडि़यों पर हजारों की तादाद में पेड़ थे। जंगल की अंधाधुंध कटाई के चलते ये पूरी तरह उजड़ गए हैं। शारदा मंदिर बरेला, मदनमहल, रामपुर, कंचनपुर आदि पहाडि़यां आम, इमली, सीताफल, कोहा, शीशम, सागौन, पलाश, जामुन के पेड़ों से जो पहाड़ी हमेशा हरी-भरी नजर आती थी, पर्यावरण के दुश्मनों ने उसे वीरान, बंजर जमीन के टुकड़े में तब्दील कर दिया है। इसके बाद भी संरक्षण व देखरेख के अभाव में यह क्षेत्र बिना पेड़ के दूर से उजाड़ नजर आते हैं।

निर्माण कार्य के लिए कट गया जंगल

बरेला के पास पहाड़ी लगभग 100 एकड़ के क्षेत्रफल में है। यहां जब मंदिर का निर्माण हुआ, तब तक पहाड़ी पर घना जंगल हुआ करता था। धीरे-धीरे आसपास के लोगों ने अपनी जरूरतों व उदर पालन के लिए लकड़ी बेचने के मकसद से इस पर कुल्हाड़ी चलानी शुरू की तो जंगल कटना आरंभ हो गया। आज इस पहाड़ी पर बड़े पेड़ खोजने पर भी इक्का-दुक्का नही नजर आते हैं। पहाड़ी का जंगल पहले मनेरी रोड की ओर से कटना आरंभ हुआ। इसके बाद जहां-जहां के पेड़ काट डाले गए, उस जगह पर भवन निर्माण व अन्य कार्यों के लिए मुरम की अंधाधुंध खुदाई भी की गई। इसके चलते पहाड़ी पर कई जगह गड्ढे बन गए हैं। सूत्रों की मानें तो अभी भी पहाड़ी के अलग-अलग हिस्सों में अवैध मुरम उत्खनन जारी है। इससे यहां पाई जाने वाली वनस्पतियां भी नष्ट हो रही हैं। शारदा मंदिर से जुडंे आशीष शुक्ला ने बताया कि मंदिर के आसपास की पहाड़ी पर अब इसलिए भी पेड़ पनप नहीं पा रहे हैं, क्योंकि यहां पानी का पर्याप्त साधन नहीं है। उनका कहना है कि पहाड़ी पर बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था करनी होगी। इससे यहां पानी व सिंचाई की सुविधा होगी। जो बाद में वृक्षारोपण के काम आएगी। यहां स्थित मां शारदा के मंदिर के चलते इस पहाड़ी की महत्ता बहुत अधिक है। दोनो नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। साल भर यहां लोगों का आना होता है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह पहाड़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार ध्यान दे तो इस पहाड़ी को महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।

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