ऐसे में महासंघ पदाधिकारियों संग वीडियो कांफ्रेंसिंग में डॉ. रेड्डी ने आश्वस्त किया कि भविष्य में नई लैब बनाई जाएंगी जहां अत्याधुनिक तकनीकी (लेजर, सायबर, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आदि तकनीक) का प्रयोग किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेंगलुरू के एक कार्यक्रम में कुछ नई लैब की जरूरत बता चुके हैं, जो जरूर बनेंगी।
उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक वाली लैब के पास उनकी क्षमता से ज्यादा के प्रोजेक्ट होंगे। देश में बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों व अन्य कर्मियों की सीधी भर्ती की जाएगी। सरकार, डीआरडीओ से अपेक्षा करती है कि आयात को घटाएं, निर्यात को बढ़ाएं। उन्होंने आश्वस्त किया कि डीआरडीओ के प्रोजेक्ट को पूरा करने पब्लिक सेक्टर का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही उत्पादन क्षमता के बाहर की आवश्यकता को पूरा करने प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल किया गया है।
बीपीएमएस नेताओं ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते वीडियो कांफ्रेंसिंग में ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लाइज फेडरेशन (एआइडीईएफ), इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन (आइएनडीडब्ल्यूएफ) और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस) के प्रमुख पदाधिकारी शामिल रहे। बीपीएमएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष साधू सिंह, महामंत्री मुकेश सिंह, कार्यकारिणी सदस्य अजय विश्वकर्मा ने कांफ्रेंसिंग में हिस्सा लेकर देश की सभी आयुध निर्माणियों के कर्मचारी हित के विभिन्न मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा की। साथ ही मजबूती से अपना पक्ष रखा। महासंघ की मांग थी कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) जो भी नए उत्पाद, तकनीकी रिसर्च एंड डेबलपमेंट (आरएंडडी) लेकर आए उसपर ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) और डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (डीपीएसयू) का पहला अधिकार होना चाहिए।