Dr. Harisingh Gour University Sagar ने 13 साल से बिना मान्यता करा दी कानून की पढ़ाई, हाईकोर्ट भी हैरान
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार याचिका में कहा गया है, विश्वविद्यालय में तीन और पांच साल के कानून पाठ्यक्रमों के लिए विवि की संबद्धता 2005-06 से 2010-11 तक वैध थी।
Dr. Harisingh Gour University Sagar :डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर में विधि पाठ्यक्रम 13 वर्ष से बिना वैध मान्यता के ही चल रहा था। इसका खुलासा हाईकोर्ट में दायर याचिका से हुआ। इस पर हाईकोर्ट ने भी हैरानी जताई कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से वैध मान्यता लिए बिना एक दशक से भी ज्यादा समय से विद्यार्थियों को कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश दे रहा था।
Dr. Harisingh Gour University Sagar : केंद्रीय विवि सागर में कारनामा: केंद्र, विश्वविद्यालय, बीसीआइ, स्टेट बार से जवाब तलब
सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने केंद्र, विश्वविद्यालय, राज्य बार काउंसिल और बीसीआइ को नोटिस जारी किया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय के कानून स्नातकों ने याचिका दायर की है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार याचिका में कहा गया है, विश्वविद्यालय में तीन और पांच साल के कानून पाठ्यक्रमों के लिए विवि की संबद्धता 2005-06 से 2010-11 तक वैध थी।
Dr. Harisingh Gour University Sagar : याचिकाकर्ताओं ने सुनाया दर्द
याचिकाकर्ताओं में से एक आस्था चौबे न्यायिक परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। कुछ राज्यों में एक वकील के रूप में व्यावहारिक अनुभव की आवश्यकता होती है। वहीं, एक अन्य याचिकाकर्ता आस्था साहू ने बताया कि एक लॉ फर्म में नौकरी हासिल की। इसके लिए उन्हें ऑफर लेटर की शर्तों के तहत स्टेट बार काउंसिल पंजीकरण प्रमाण-पत्र जमा करना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि आगामी अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआइबीई) में उपस्थित होने में असमर्थ हैं। सरकार की ओर से पीठ को बताया गया कि विश्वविद्यालय के कानून विभाग ने मान्यता नवीनीकृत करने की औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। बीसीआइ ने निरीक्षण भी कर लिया है। अब कोर्ट 18 नवंबर को सुनवाई करेगा।
Dr. Harisingh Gour University Sagar : नामांकन से इनकार
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि राज्य बार काउंसिल विश्वविद्यालय की मान्यता के मुद्दे के कारण उन्हें नामांकन देने से इनकार कर रहा है। कानून स्नातकों ने बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकन के लिए दिशा-निर्देश भी मांगे। पीठ ने कहा कि कानूनी शिक्षा के नियमों के अनुसार, कानून पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले कॉलेज या विश्वविद्यालय को बीसीआइ से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए, फिर यह समझना होगा कि वे कैसे पाठ्यक्रम संचालित कर रहे।
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