रक्षामंत्री के साथ हुई बैठक देश की सभी 41 आयुध निर्माणियों के कर्मचारी महासंघों की रक्षामंत्री के साथ हुई बैठक में उनकी तरफ से यह जानकारी अपनी यूनियनों के पदाधिकारियों को भेजी गई। इसमें बताया गया कि कंपनियों की तरफ से अभी तक अपने कर्मचारियों के लिए सेवाशर्तें नहीं बनाई गईंं। वहीं वर्कलोड को लेकर भी अभी नीति स्पष्ट नहीं है। इस बात को ध्यान में रखकर कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर रखा गया है।
शहर में चार निर्माणियों को होगा फायदा कर्मचारी संगठन हालांकि निगमीकरण को हटाकर पुरानी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। लेकिन इस पर सरकार ही कोई निर्णय ले सकती है। लेकिन डीम्ड डेपुटेशन से थोड़ी राहत मिली। पूर्व के आदेश के अनुरूप यह सितंबर में समाप्त हो रही है। तब तक सरकार ने कंपनियों से अपनी नीतियां बनाने के लिए कहा था। मगर दो साल में यह काम पूरा नहीं हाेते देख अवधि को एक साल और बढ़ा दिया है। इससे आयुध निर्माणी खमरिया, ग्रे आयरन फाउंड्री, वीकल फैक्ट्री जबलपुर एवं गन कैरिज फैक्ट्री के कर्मचारियों को राहत मिली।
यह होगा फायदा
जानकारों का कहना है डीम्ड डेपुटेशन का कार्यकाल बढ़ाने से कर्मचारियों को अभी रक्षा कंपनियों का कर्मचारी नहीं माना जाएगा। यानि उन्हें अभी सारी सुविधाएं जैसे कि वेतन-भत्ते, अवकाश पहले की तरह मिलते रहेंगे। कंपनियां अभी कोई नया आदेश उन पर लागू नहीं कर सकेंगी। हर महासंघ की अलग-अलग है राय बीपीएमएस के संयुक्त सचिव रूपेश पाठक ने बताया कि संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री मुकेश सिंह को रक्षामंत्री ने एक साल डीम्ड डेपुटेशन बढ़ाने की जानकारी दी। उन्होंने निर्माणियों को सरकारी क्षेत्र में रखने की मांग की थी। रामप्रवेश सिंह का कहना है कि फिलहाल कर्मचारियों को राहत मिली है। जीसीएफ श्रमिक संघ के अध्यक्ष लक्ष्मी पटेल एवं महामंत्री राकेश रजक और ओएफके कामगार यूनियन के राजेंद्र चराडि़या का कहना था कि सरकार से निगमीकरण के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।
कारपोरेट नीतियां लागू नहीं कर पा रही सरकार एआइएएनजीओ के जोनल चेयरमैन अजय चौहान और सचिव डीसी पांडेय ने कहा कि डेपुटेशन बढे़ या नहीं, हमने सरकारी कर्मचारी बने रहने का निर्णय लिया है। एआईडीईएफ के संयुक्त सचिव रवीन्द्र रेड्डी का कहना है कि सरकार कारपोरेट नीतियां लागू नहीं कर पा रही है। इसलिए यह निर्णय हुआ। लेकिन हम निगमीकरण के खिलाफ लड़ाई लड रहे हैं।