जबलपुर

ये कैसी संतान ? अस्पताल में मां की लाश को छोड़कर भाग गई बेटी, परायों ने किया अंतिम संस्कार

बेटी बोली- लाश लाने में 50 हजार लगते इसलिए अस्पताल में ही छोड़ आई…3 बेटियां व एक बेटा होने के बावजूद संस्था को करना पड़ा अंतिम संस्कार…

जबलपुरSep 22, 2022 / 06:41 pm

Shailendra Sharma

जबलपुर. जबलपुर में मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला की जब अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई तो उसकी बेटी लाश को अस्पताल में ही छोड़कर वापस पंजाब अपने ससुराल लौट गई। जब अस्पताल के स्टाफ ने उसे फोन किया तो उसने जो जवाब दिया वो हैरान कर देने वाला था। बेटी ने कहा कि मां की लाश को लाने में 50 हजार रुपए खर्च होते इसलिए लाश को अस्पताल में ही छोड़कर आ गई और अब वापस नहीं आ सकती। बताया गया है कि महिला का एक बेटा और तीन बेटियां हैं लेकिन किसी ने भी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए हामी नहीं भरी। जिसके कारण समाजसेवी संस्था ने बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार किया।

 

तबीयत बिगड़ने पर आर्मी अस्पताल में कराया था भर्ती
जानकारी के मुताबिक मृत बुजुर्ग महिला का नाम रुक्मणी कौर है जिसके पति एक्स आर्मी मैन थे। करीब दो महीने पहले रुक्मणी को उनकी बेटी पूनम कौर तबीयत बिगड़ने पर जबलपुर के आर्मी अस्पताल लेकर पहुंची थी जहां उन्हें एडमिट किया गया था। जांच के बाद पता चला कि रुक्मणी को गैंगरीन की बीमारी है जिसका इलाज जबलपुर में नहीं हो पाएगा। जिसके बाद पूनम ने मां को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया जहां इलाज के दौरान रुक्मणी की मौत हो गई। मां की मौत होने के बाद बेटी पूनम मां की लाश को अस्पताल में ही छोड़कर अपने ससुराल पंजाब लौट गई। अस्पताल में मौत की बाद पहले तो अस्पताल प्रबंधन ने उसके परिजन की तलाश की लेकिन जब कोई नहीं मिला तो अस्पताल प्रबंधन ने रिकॉर्ड खंगालकर पूनम का मोबाइल नंबर निकाला।

 

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बेटी बोली- लाश लाने में लगते 50 हजार रुपए
अस्पताल प्रबंधन ने पूनम को फोन कर मां की लाश ले जाने के लिए कहा तो पूनम ने कहा कि मां की लाश को लाने में 50 हजार रुपए खर्च होंगे इसलिए वो लाश को जबलपुर में ही छोड़कर आ गई थी और अब वापस नहीं आएगी। पूनम ने कुछ और रिश्तेदारों के नंबर भी दिए जिनसे अस्पताल प्रबंधन ने संपर्क किया लेकिन किसी ने भी रुक्मणी के शव को ले जाने की इच्छा जाहिर नहीं की। रुक्मणी के बेटे और अन्य दो बेटियों ने भी तरह तरह के बहाने बनाकर मां की लाश लाने से इंकार कर दिया। जब इस बात का पता गरीब नवाज कमेटी को चला तो उन्होंने मृतिका रुक्मणी कौर के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली और पूरे रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया।

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