हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट
गोवध रोकने और पुनर्वास के लिए गोशाला स्थापित करने क्या उठाए कदम
गोरखपुर, जबलपुर निवासी ब्रजेंद्र लक्ष्मी यादव की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि 12 नवंबर 2019 को उन्होंने तेंदूखेड़ा से दमोह के बीच में करीब दो हजार गौवंश के पशुओं का झुंड देखा, जिसे कुछ लोग हांक कर ले जा रहे थे। पूछने पर जानकारी मिली कि ग्वालियर जिले के श्योपुर से इन पशुओं को बालाघाट के व्यापार मेले में बेचने के लिए ले जाया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि जिस तरीके से श्योपुर से लगातार इतने बड़े झुंड में पैदल चलाते हुए इन पशुओं को ले जाया गया, वह पशु क्रुरता अधिनियम व गोवंश प्रतिषेध अधिनियमों के खिलाफ व अमानवीय है। इन पशुओं में से कई बीमार, घायल भी थे। उन्होंने तेंदूखेड़ा पुलिस थाने में शिकायत कर कार्रवाई की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
खरीद-फरोख्त का हिसाब नहीं
अधिवक्ता योगेश धांडे ने तर्क दिया कि गौवंश की तस्करी करने वालों से पुलिस की मिलीभगत है। व्यापार मेला के नाम पर ले जाए जाने वाले पशुओं की खरीद-फरोख्त का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता। आशंका जताई कि इन पशुओं को काटने के लिए इस रास्ते से हैदराबाद ले जाया जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि इन पशुओं का वध होने से रोका जाए। इनकी चिकित्सकीय व वर्तमान दशा के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट मंगा कर जानकारी ली जाए। फरवरी 2020 में कोर्ट ने राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद से ही सरकार की ओर से कोई जवाब न देने के चलते याचिकाकर्ता की ओर से अर्जेंट हियरिंग की अर्जी पेश की। जिस पर कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांग ली। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव ने पक्ष रखा।