200 दुकानों का संचालन, अभी सीमित दुकानों से आउटलेट्स का काम
क्लस्टर में छोटी और बड़ी 200 इकाइयां हैं। 80 प्रतिशत इकाइयों में सलवार सूट तैयार होते है। वहीं 20 प्रतिशत इकाइयों में दूसरे उत्पाद बनते हैं। अभी यहां निर्मित वस्त्र दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, मध्य भारत में मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल भेजे जाते है। कुछ इकाईधारक फैक्ट्ररी आउटलेट्स से रिटेल सेल्स भी करते हैं। अब इनकी संख्या बढ़ रही हैं। ऐसे में लोगों को अपनी पसंद की पोशाक यहां मिल सकेंगी।
अभी कम मात्रा में बिक्री: अभी सीमित ग्राहक यहां आ पाते हैं। क्योंकि कम इकाईधारक आउटलेट्स चलाते हैं लेकिन इनकी संख्या बढ़ने से स्थानीय कारोबार में बढ़ोत्तरी होगी। इसके अलावा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फूड कार्निवल का आयोजन भी जबलपुर गारमेंट एंड फैशन डिजाइन क्लस्टर एसोसिएशन की तरफ किया जा रहा है। पहले यह 18 फरवरी को होना था, अब यह 25 फरवरी को होगा। इसके अलावा कुछ समय बाद व्यापार मेला भी होगा, इसमें रिटेल में सलवार सूट सहित दूसरे परिधान ले सकेंगे।
महिलाओं के प्रशिक्षण पर जोर : प्रोजेक्ट में उत्पादन इकाइयों के अलावा कॉमन फैसिलिटी सेंटर है। आधुनिक मशीनों से इकाईधारक काम कराते हैं। द्वितीय तल पर एटीडीसी सिलाई सेंटर है। महिलाएं अत्याधुनिक मशीनों पर सिलाई सीखती है। ऐसे में उन्हें रोजगार प्राप्त होता है। महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री दक्ष योजना एवं नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त योजनाए चलाई जाती ह। अब स्थानीय एवं बाहर से आनेवाले ग्राहकों के लिए और सुविधाएं यहां बढ़ाई जा रही हैं।
गारमेंट क्लस्टर में बने उत्पादों की पहुंच स्थानीय स्तर पर ज्यादा हो सके इसके प्रयास किए जा रहे हैं। ज्यादा संख्या में आउटलेट खोले जा रहे हैं ताकि ग्राहकों को रियायती दामों परिधान मिल सकें। इसी प्रकार फूड कार्निवल भी किया जा रहा है।
– दीपक जैन, एमडी, जबलपुर गारमेंट एंड फैशन डिजाइन क्लस्टर एसोसिएशन