खुलासा हुआ है अस्पताल संचालक डॉ. राजीव जैन अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहा था। मेडिकल और उपचार जैसी जानकारियां नहीं रखने वालों को डॉ. जैन ने अस्पताल के पीआइसीयू में बतौर टेक्नीशियन तैनात किया था। पीआईसीयू में जिस डॉक्टर की ड्यूटी बताई गई थी, वह रजिस्टर मेडिकल प्रैक्टिसनर नहीं है।
सीएमएचओ की गई जांच में डॉ. गजेंद्र जंगेला ने बताया कि वह बीएससी से स्नातक है। वह एक निजी कॉलेज से बीएचएमएस की पढ़ाई कर रहा है। घटना के तीन माह पहले से वह अस्पताल में डय़ूटी डॉक्टर के रूप में तैनात है। जबकि, वह रजिस्टर मेडिकल प्रैक्टिसनर नहीं है। इसके बावजूद उसे बतौर ड्यूटी डॉक्टर तैनात किया गया था। जांच के दौरान घटना के दिन पीआइसीयू में तैनात टेक्नीशियन भगवान सिंह ठाकुर ने स्नातक तक की पढ़ाई की है। भगवान ने दावा किया कि उसने तीन माह का नर्सिंग डिप्लोमा किया है। जांच के दौरान वह नर्सिंग से जुड़ा कोई डिप्लोमा पेश नहीं कर पाया।
शालिनी के बयान दर्ज किए गए, तो पता चला कि उसने बीए (बैचलर ऑफ आटर््स) की पढ़ाई की है। उसके बयानों के आधार पर खुलासा हुआ कि उसके पास पैरामेडिल कोर्स सम्बंधी कोई दस्तावेज और प्रमाण पत्र नहीं है। शालिनी सिर्फ अस्पताल में मिले अनुभव के आधार पर काम कर रही थी।
यह है मामला
डॉ. तिवारी की बेटी खुशी की स्टार हॉस्पिटल में उपचार के दौरान 19 मई 2021 को मौत हो गई थी। डॉ. तिवारी ने अस्पताल संचालक डॉ. राजीव जैन और प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। मामले में लार्डगंज पुलिस समेत पुलिस के आला अधिकारियों और सीएमएचओ से शिकायत की गई थी। जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन पीआइसीयू में डॉ. गजेंद्र जंगेला समेत टेक्नीशियन भगवान सिंह ठाकुर और शालिनी खरे की ड्यूटी थी।