जबलपुर। अत्यंत शक्तिशाली 84 एमएम मल्टीपरपस बम से भरी मालगाड़ी 26 घंटे तक सेना के साये में खड़ी रही। पटरी से उतरे दो डिब्बों को अलग किया गया था। डिब्बों सोमवार शाम चार बजे हुई घटना के बाद देर रात एक बजे पटरी पर लाया जा सका। बमों से भरे दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों से भारी सुरक्षा व सतर्कता के बीच दिनभर दूसरे डिब्बों में शिफ्ंिटग चली। इस दौरान पूरे इलाके को सेना घेरे हुए थी। शाम साढ़े पांच बजे शिफ्टिंग पूरी करने के बाद ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (ओएफके) प्रबंधन द्वारा रेलवे को सूचित किया गया। शाम को रवाना गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) से लगे गोकलपुर रेलवे यार्ड स्थित घटनास्थल से मालगाड़ी शाम लगभग छह बजे जबलपुर स्टेशन की ओर रवाना की गई। यह टे्रन काफी देर तक स्टेशन पर खड़ी रही। इसके बाद 58 डिब्बों की इस मालगाड़ी को महाराष्ट्र के पुलगांव स्थित सेंट्रल एम्युनेशन डिपो (सीएडी) के लिए रवाना कर दिया गया। रेलवे करा रहा जांच सोमवार शाम दुर्घटनाग्र्रस्त हुई मालगाड़ी के मामले की जांच रेलवे ने शुरू कर दी है। दो रेलवे टै्रक के प्वाइंट पर हादसे का शिकार हुए डिब्बों को इस हालत में नहीं पाया गया कि उन्हें टे्रन के साथ भेजा जा सके। दोनों डिब्बे बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं। मल्टीपरपस 84 एमएम बम से भरे दोनों दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों से बमों की शिफ्ंिटग के बाद टे्रन को रेलवे के सुपुर्द कर दिया गया था। शाम को टे्रन बमों को लेकर रवाना हो गई थी। संजीव गुप्ता, एजीएम, ओएफके