जबलपुर

बड़ी खबर : नर्मदा में 150 डेयरियों की गंदगी लेकर मिल रहीं सहायक नदियां

बड़ी खबर : नर्मदा में 150 डेयरियों की गंदगी लेकर मिल रहीं सहायक नदियां

जबलपुरJul 27, 2024 / 12:52 pm

Lalit kostha

Narmada

जबलपुर. नर्मदा नदी में प्रतिदिन करोड़ों लीटर गंदा पानी मिल रहा है। परियट, गौर और हिरन नदी का दूषित काला पानी नर्मदा को दूषित कर रहा है। यहां डेयरियों के गोबर व दूसरे अपशिष्ट को सीधे नर्मदा की इन सहायक नदियों में बहाया जा रहा है। प्रदेश की जीवनधारा को प्रदूषण से बचाने के नाम पर नगरीय सीमा में तो कई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। लेकिन, विशेषज्ञों का आकलन है कि सहायक नदियों गौर, परियट, हिरन के मलिन रहते नर्मदा को स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता है।
pariyat river
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डेढ़ सौ से ज्यादा डेयरियों को नोटिस देकर स्पष्ट किया है कि एसटीपी प्लांट लगाएं अन्यथा, डेयरी बंद करें। इसका पालन कराने की जिम्मेदारी नगर निगम और जिला प्रशासन की है। नगरीय सीमा में जमतरा से लेकर झांसी घाट तक 60 किलोमीटर नर्मदा के प्रवाह क्षेत्र में तीन सहायक नदी और 5 बड़े व 40 से ज्यादा छोटे नालों का दूषित पानी आकर मिलता है। नर्मदा की जल धारा इन जल स्रोतों पर काफी हद तक निर्भर करती है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन जलस्रोतों को स्वच्छ बनाना आवश्यक है। अन्यथा नर्मदा जल का ईको सिस्टम का संतुलन बिगड़ जाएगा। नर्मदा जल की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए गौरीघाट में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रियल टाइम मॉनीटरिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये सिस्टम केवल इसी क्षेत्र के जल गुणवत्ता की रिपोर्ट बता सकता है। इसे पूरे जिले में नर्मदा जल की गुणवत्ता का पैमाना नहीं माना जा सकता।
khandari nala jabalpur
खंदारी व परियट नाला का गंदा पानी

खंदारी नाला से नर्मदा में वृहद स्तर पर गंदा पानी मिलता है। नाला पर वर्ष 2014 में एसटीपी प्लांट स्थापित गया था, जिससे उपचार के बाद पानी नर्मदा में छोड़ा जाता है। नगर निगम ने नर्मदा तटों के समीप कुछ और एसटीपी प्लांट स्थापित किए हैं।
यह है स्थिति
60 किमी प्रवाह क्षेत्र नर्मदा का जमतरा से झांसी घाट तक03 सहायक नदी और 5 बड़े व 40 छोटे नालों का दूषित पानी मिलता है नर्मदा में

नदियों में जल गुणवत्ता
●नर्मदा जल-ए ग्रेड
●गौर का जल-डी ग्रेड
●परियट का जल-डी ग्रेड
●हिरन का जल-डी ग्रेड
khandari nala jabalpur
नदियों में ऐसे बढ़ रहा है प्रदूषण
80 के लगभग डेयरी गौर नदी के किनारे
120 से ज्यादा डेयरी परियट नदी के आसपास

ये हो रहे प्रयास
04 एमएलडी कुल क्षमता के 5 प्लांट गौरीघाट क्षेत्र में
550 केएलडी का प्लांट गौरीघाट में संचालित
50 केएलडी का प्लांट तिलवारा में
100 केएलडी का प्लांट सिद्धघाट में
05 एमएलडी कुल क्षमता के 4 एसटीपी प्लांट भेड़ाघाट-लम्हेटा क्षेत्र में स्थापित
pariyat river
सहायक नदियों का काला पानी

परियट नदी में डेयरियों का गोबर और मूत्र लगातार मिलने, मृत मवेशियों को डाल दिए जाने के कारण नदी का पानी दूषित होने के साथ ही काला हो चुका है। नदी के पानी में ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है। इससे जलीय जीवों के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है। जियोलॉजिकल सर्वे में खुलासा हुआ था की डब्ल्यूएचओ के मानकों से नदी के वर्तमान पानी के कंटेंट की तुलना की जाए तो संतुलन पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। नदी के पानी में तापमान, हार्डनेस, एल्केनिट, डीओ बढ़ा हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार परियट और गौर नदी पानी के ऊपर गोबर व गंदगी फैलाने वाले कंटेंट की परत जमने से नीचे का पानी सड़ रहा है। उसमें ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है। इससे यहां मौजूद मगरमच्छों के प्राकृतिक रहवास पर भी खतरा मंडरा रहा है। दोनों सहायक नदियों का पानी नर्मदा में जाकर मिलता है। वहीं एक और सहायक नदी हिरन पूरी तरह से नाले में तब्दील हो रही है।
डेयरी संचालकों को निर्देशित किया है कि एसटीपी प्लांट लगाएं अन्यथा डेयरी को बंद करें। इस संबंध प्रशासन से भी कार्रवाई करने कहा है।

  • आलोक जैन, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
नर्मदा जल की गुणवत्ता केवल नालों के गंदे पानी से ही प्रभावित नहीं होती, सहायक नदियों गौर, परियट व हिरन नदी का दूषित जल मिलने से भी जल की गुणवत्ता खराब हो रही है।

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