सक्रिय होते हैं हार्मोन्स
साइंस कालेज के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एके बाजपेई कहते हैं कि हैप्पीनेस का यह अहसास हमारी बॉडी के कुछ हार्मोंस की वजह से होता है। हार्मोन्स जब सक्रिय होते हैं तो हमारा दिल दिमाग एक अलग लेवल पर पहुंच जाता है। और वहीं जब उनकी कमी होती है तो सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर हो जाता है। जिसकी वजह से मन में उदासी छा जाती है। यह सब मौसम की वजह से भी होता है। बसंत के मौसम में क्यों हमारा मन कोयल के जैसी कूकने को करता है, इसके बारे में हमने वैज्ञानिक तथ्य जाने और विशेषज्ञों से बातचीत की। तो पता चला कि ऐसी चीजें होती हैं जो हमें हैप्पीनेस की वजह देती हैं।
पहला
ठंड के बाद गर्मी शुरू होती है। और इस दौरान बसंत ऋतु आती है, जिससे सनलाइट धीरे-धीरे बढऩे लगती है, और पत्तियां फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया तेजी से करती हैं। इससे ऑक्सीजन भी ज्यादा बढ़ती है। और हमारे बॉडी सेल्स एक्टिव हो जाते हैं, इसलिए हम फीलगुड करते हैं।
दूसरा
बॉडी में सिरोटोनिन हार्मोन बहुत ही तेजी से बढ़ता है, जो हैप्पीनेस की मुख्य वजह है। इसकी अधिक सक्रियता हमें फीलगुड कराती है। जब ठंड में टेंपरेचर कम होता है और लाइट नहीं मिलती तो सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से डिप्रेशन होता है यानी सिरोटोनिन बनना बंद हो जाता है।
कर सकते हैं यह भी
फीलगुड करने के लिए किसी मौसम की जरूरत नहीं होती। हम इसे कभी भी महसूस कर सकते हैं। इसके लिए थोड़ा सा हैवी वर्कआउट करें तो बॉडी एंडॉर्फिन हार्मोन जनरेट करेगी। इससे हमें रिलैक्स फील होगा। दूसरा कोई भी तेज मसाला वाला खाना एंडोर्फिन हार्मोन को रिलीज करता है जिससे भी हमें खुशी मिलती है।
बचें परेशानी से भी
ऐसा नहीं है कि हम बसंत के मौसम में सिर्फ फील गुड ही हो। इस मौसम में होने वाली परागण की प्रक्रिया एलर्जी का कारण बनती है। परागकण सांस के साथ शरीर में पहुंचकर वहां मौजूद आईजीई और मस्ट सेल के साथ प्रक्रिया्र करते हैं और हिस्टामिन बनाते हैं इससे सर्दी जुकाम की शिकायत हो जाती है।