डुमना विमानतल: 800 मीटर की दृश्यता के लिए लगाया जा रहा आइएलएस उपकरण
अब कोहरे में उतर सकेंगे विमान, नहीं करने पड़ेंगे डायवर्ट
800 मीटर की दृश्यता में भी पायलट को संकेत भेजकर विमान को रन-वे पर उतारने में मदद करेगा। यह उपकरण जून 2023 तक इंस्टॉल हो जाएगा। यह एटीसी से कंट्रोल होगा।
वर्तमान में यह स्थिति- ठंड और बारिश के मौसम में कोहरा पडऩे पर लैंड करने वाले विमान के पायलट को 1500 मीटर ऊंचाई से रन-वे नजर नहीं आता। ऐसी स्थिति में विमान को उतरने की अनुमति नहीं दी जाती। इसलिए कोहरे होने पर विमानों को डायवर्ट किया जाता है।
ये है आइएलएस
आइएलएस एक तरह का आधुनिक उपकरण है, जो विमानतल पर उतरने वाले विमान से कनेक्ट होता है। इससे पायलट को विमान में ही संकेतों के माध्यम से रन-वे और एयरक्राफ्ट लैंड कराने वाली लाइन के साथ सभी दिशा निर्देश देता है। इसके आधार पर पायलट विमान को कोहरे में भी रन-वे पर आसानी से उतार सकता है।
तीन कैटेगरी
आइएलएस तीन कैटेगरी में आता है। केटेगरी थ्री का ऑटोमैटिक लैंडिंग सिस्टम विमानतल पर इंस्टॉल होने पर विमान 800 मीटर की बिजिबिलिटी होने पर भी उतर सकता है। कैटेगरी टू के आइएलएस में 350 मीटर। जिन विमानतल पर कैटेगरी वन का आइएलएस इंस्टॉल होता है, वहां 50 मीटर से जीरो विजीबिलिटी होने पर भी विमान आसानी से उतर सकता है। इससे यहां विमान सेवाओं में सुधार होगा।
डुमना एयरपोर्ट पर कोहरे के कारण कई बार विमान उतर नहीं पाते। उन्हें डायवर्ट करना पड़ता है। विमानतल पर कैटेगरी थ्री का आइएलएस उपकरण इंस्टॉल किया जा रहा है। इससे 800 मीटर की विजीबिलिटी में भी विमान आसानी से उतर सकेंगे।
कुसुम दास, डायरेक्टर, डुमना विमानतल