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Astrology : द्वापर युग के बाद अब बन रहा महाभारतकाल का दुर्योग, दो तिथियों के क्षय से बन रहा विश्वघस्त्र योग

Astrology : द्वापर युग के बाद अब बन रहा महाभारतकाल का दुर्योग, दो तिथियों के क्षय से बन रहा विश्वघस्त्र योग

जबलपुरJun 29, 2024 / 02:23 pm

Lalit kostha

विश्वघस्त्र पक्ष से दुनिया में आएगा बदलाव

जबलपुर. द्वापर युग के महाभारत काल का ज्योतिषीय दुर्योग एक बार फिर बन रहा है। महाभारत के पहले 13 दिन का पक्ष हुआ था। इसी तरह इस वर्ष आषाढ़ कृष्ण पक्ष भी 13 दिन का होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इसे दुर्योग काल माना जा रहा है। ऐसा योग कई शताब्दियों में बनता है। इसे विश्वघस्त्र पक्ष कहते हैं। यह दुर्योग बनने से इस वर्ष प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने व जनहानि की आशंका जताई जा रही है। यह भी माना जा रहा है कि कुछ अंतर होने के चलते यह दुर्योग महाभारतकाल जैसा घोर अनिष्टकारी नही होगा।
13 दिन का होगा आषाढ़ कृष्ण पक्ष. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार प्राकृतिक प्रकोप, जनहानि की आशंका

माना जाता है कालयोग : ज्योतिषशास्त्र में विश्वघस्त्र पक्ष को विश्व-शांति भंग करने वाला माना गया है। धर्मग्रंथों में इसे कालयोग का नाम भी दिया गया है।
महाभारत जैसा नहीं : दुबे के अनुसार यह कालयोग हजारों साल में एक बार आता है। महाभारत काल में भी ऐसी स्थिति बनी थी। लेकिन 13 दिन के उस पक्ष में चंद्र और सूर्य के 2 ग्रहण भी हुए थे। इस स्थिति को ऋषियों ने महाउत्पात की श्रेणी में रखा था। इस वर्ष आषाढ़ कृष्ण पक्ष में द्वितीया और त्रयोदशी का क्षय होकर 13 दिन का पक्ष हो रहा है। लेकिन यह महाभारत में वर्णित 13 दिन के पक्ष के तुल्य नहीं है।
द्वितीया व त्रयोदशी तिथि का क्षय

ज्योतिषाचार्य सौरभ दुबे ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार संवत 2081 (सन 2024) में आषाढ़ मास 23 जून से आरम्भ हुआ है। यह 21 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की शुरुआत 23 जून को हुई थी। इसका समापन 5 जुलाई को होगा। इस कृष्ण पक्ष में दो तिथियों द्वितीया और त्रयोदशी का क्षय हो रहा है। इस कारण यह कृष्ण पक्ष 13 दिन का होगा। शुक्ल पक्ष छह जुलाई से शुरू होगा, जो 21 जुलाई तक चलेगा।
#Astrology: After Dwapar Yug, now the bad yoga of Mahabharata period is being formed
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दोनों तिथियों का सूर्योदय से सम्बंध नहीं

दुबे ने बताया कि भारतीय कालगणना में सौर, चंर्द्र, सावन तथा नक्षत्र समेत अनेक तथ्यों का ध्यान रखा जाता है। इसके अंतर्गत मास की गणना चांद्र दिन अर्थात तिथि से तथा दिन की गणना सावन दिन से करते हैं। यदि 13 सावन दिनों के अंतर्गत पूरी 15 तिथियां पड़ जाएं तो उस पक्ष को विश्वघस्त्र पक्ष कहते हैं। उन्होंने बताया कि जिस तिथि का किसी सूर्योदय से सम्बंध नहीं होता, उसे क्षय संज्ञा दी जाती है या क्षय तिथि कहते हैं। आषाढ़ कृष्ण पक्ष में इस बार द्वितीया व त्रयोदशी तिथि का सूर्योदय से सम्बंध नहीं है।

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