पितरों को देंगे जलांजलि आषाढ़ अमावस्या पर पितरों की भी पूजा की जाएगी। पितरों को जलांजलि देकर प्रसन्न करने के उपाय किए जाएंगे। पितृदोष निवारण के लिए पूजन व दान होगा। नर्मदा किनारे पितृकर्म करने के लिए लोग उमड़ेंगे। मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को जलांजलि देने से पितृकर्म में हुई भूलचूक के दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।
इन शुभयोगों का संयोग ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:12 बजे से शुरू होकर दोपहर 3:09 बजे तक रहेगा। अमृत योग सुबह 11:07 बजे से शुरू होकर दोपहर 3:09 बजे तक रहेगा। रवि योग पूरे दिन रहेगा। गुरु-चंद्र योग सुबह 7:12 बजे से शुरू होकर दोपहर 3:09 बजे तक रहेगा। पुष्य योग भी पूरे दिन रहेगा। इन शुभ योगों के अलावा, सिद्धि योग, विनायक योग, ध्रुव योग, लाभ योग, अतिशय योग भी बन रहे हैं। इन सभी योगों के प्रभाव से आषाढ़ अमावस्या अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जा रही है।
यह करेंगे व्रतधारी आषाढ़ अमावस्या के दिन श्रद्धालु व्रतधारी ब्रह्म मुहूर्त में जाग कर स्नान करेंगे। भगवान विष्णु को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लेंगे। सुबह सूर्य देव को जल का अर्घ्य और तिलांजलि देंगे। सुबह पवित्र नदी में स्नान के दौरान हथेली में तिल रखकर बहती जलधारा में प्रवाहित करेंगे। पंचोपचार के बाद विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी। विष्णु चालीसा का पाठ और विष्णु स्तोत्र का जाप होगा। पूजा के बाद दान-पुण्य किया जाएगा।