सेना के लिए भविष्य की तकनीक पर होगा काम वीकल फैक्ट्री सेना के लिए कई प्रकार के वाहनों का उत्पादन करती है। स्थापनाकाल से लेकर अभी तक इनकी संख्या 12 से ऊपर हो चुकी है। हर साल 3 हजार या उससे अधिक वाहनों का उत्पादन यहां पर किया जाता है। इन सभी वाहनों में डीजल और पेट्रोल इंजिन ही लगाया जाता है। चूंकि यह गाडिय़ां हैवी होती हैं तो इनमें ईंधन की खपत ज्यादा होती है।
यह है खासियत हाइड्रोजन ईंधन सेल पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन की तुलना में अधिक कुशल हैं। इसकी वजह यह कि वह रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। ऐसे में गर्मी से ऊर्जा की हानि कम होती है। वह केवल जल वाष्प उत्सर्जित करते हैं, जबकि जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले पारंपरिक इंजन ग्रीनहाउस गैसों और प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं, जिससे प्रदूषण होता है।
कॉन्क्लेव में आज होगा एमओयू हाइड्रोजन इंजिन विकसित करने के लिए आर्मर्ड वीकल निगम लिमिटेड की इकाई वीएफजे और अशोक लीलैंड के अधिकारी एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे। इस दौरान निगम के सीएमडी संजय द्विवेदी, फैक्ट्री के मुख्य महाप्रबंधक संजीव कुमार भोला और महाप्रबंधक आशुतोष कुमार व अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे। वहीं मोटर स्पोर्ट्स के लिए मप्र टूरिज्म डिपार्टमेंट के अधिकारियों और वीएफजे के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। ज्ञात हो कि फैक्ट्री दो बार मोटर स्पोर्ट्स का आयोजन कर चुकी है। इसमें शहर के साथ दूसरी जगहों के प्रतिभागी भाग ले चुके हैं। यहीं नहीं इसके लिए ट्रैक भी बनाया गया है।