शंकराचार्य मठ में मां बगलामुखी का प्राकट्योत्सव
जबलपुर•May 14, 2019 / 12:51 am•
Sanjay Umrey
baglamukhi mai
जबलपुर। शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर स्थित बगलामुखी मंदिर में वैशाख शुक्ल पक्ष अष्टमी को भगवती का प्राकट्योत्सव मनाया गया। ब्रह्मचारी स्वामी सुबुद्धानंद के सान्निध्य में 1100 लड्डूओं एवं किसमिस से भगवती का भोग लगाया गया। मंदिर के पुजारी स्वामी चैतन्यानंद ने वैदिक विधि विधान से अर्चन कराया। स्वामी सुबुद्धानंद ने कहा, भगवती बगामुखी परम सात्विक वैश्विक शक्ति है। जो सदा लोगों के परोपकर के लिए तत्पर रहती हैं। महाविद्या के क्रम में भगवती अष्टम सिद्धि महाविद्या है। बगलामुखी की उपासना से विजय या किसी सफलता में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है। इस अवसर पर मधु यादव, मधु भगत, बीके पटेल, मनोज सेन, प्रकाश द्विवेदी, पट्टू पांडेय, विजय कटारिया, नीता पटेल, हेमंत मिश्रा, बृजेश दुबे, शशिकांत तिवारी, कमलेश शास्त्री, राधा शुक्ला, सुभाष कुदरा एवं राजेश खर्द ने पूजा अर्चना की।
प्रेमा भक्ति के सर्वोच्च उदाहरण हैं सुदामा
संस्कारधानी में हो रहे धार्मिक आयोजनों के तारतम्य में विजय नगर लमती कॉलोनी में श्रीमद् भागवत कथा हो रही है। कथा में सोमवार को कथा व्यास ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला ने कहा कि सुदामा प्रेमा भक्ति के सर्वोच्च उदाहरण हैं, श्री रामचरितमानस में यदि भरत न होते तथा श्रीमद् भागवत कथा में यदि सुदामा न होते तो कथा रस का प्रवाह इतना सुंदर नहीं हो पाता। सुदामा की कथा चरित्र कथा है। चरित्र कथा का अर्थ होता है कि जिसे जीवन में ज्यों का त्यों उतारा जा सके, सुदामा की मित्रता श्रीमद् भागवत कथा में दास भाव के स्वभाव का अच्छा उदाहरण है। कथा व्यास ने कहा, चित्रकूट में भरत का जब श्रीराम से मिलन हुआ और सुदामा को जब भगवान श्रीकृष्ण मिले। दोनों प्रसंग में करुण रस को देखकर जड़ चेतन सभी के नेत्र सजल हो गए। सुदामा भगवान को इतने प्रिय हैं कि भगवान ने अपने आंसुओं के द्वारा सुदामा के पैर को धोकर भक्तों के मान बढ़ाने की विशेष संज्ञा प्रदान की। सुदामा जैसा सम्मान अन्य किसी भक्तों को प्राप्त नहीं हुआ। व्यास पीठ का पूजन नीरज सिंह ठाकुर, भीष्म सिंह राजपूत, रागिनी सिंह राजपूत, रानी सिंह ठाकुर ने किया।
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