बता दें कि केंद्र सरकार ने 220 साल पुराने आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण के प्रस्ताव को हरी झंडी देकर रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए रास्ता साफ कर दिया है। यह आरोप हिंदू मजदूर सभा का है। सरकार के इस निर्णय के तहत आयुध निर्माणियों को सात कंपनियों के अधीन किया जाना है। इसके विरोध में सुरक्षा संस्थान के कर्मचारी महासंघ पिछले कई दिनों से आंदोलित थे। इन महासंघों का मानना है कि निर्माणियां कीमत के साथ गुणवत्ता पर जोर देती हैं। जबकि निजी कंपनियां ऐसा नहीं करेंगी। ऐसे में अब महासंघों ने अब निगमीकरण के विरोध में 19 जुलाई से जबलपुर सहित देश की आयुध निर्माणियों में अनिश्चित कालीन हड़ताल की घोषणा की है।
एआइडीइएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएन पाठक का कहना है कि सरकार ने महासंघों के साथ विश्वासघात किया है। आयुध निर्माणियों की स्थिति भी बीएसएनएल जैसी हो सकती है। निर्माणियों के उत्पादों की अपनी पहचान है। कर्मचारी उसकी गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं करता। इसलिए उनकी लागत बढऩा स्वाभाविक है। दूसरी तरफ निजी क्षेत्र केवल फायदे के लिए काम करता है। वह लागत घटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ऐसे में उनकी कीमत कम होगी और निर्माणियों के उत्पादों की ज्यादा। सेना को जहां सस्ती रक्षा सामग्री मिलेगी, वह उनका क्रय करेगी। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसे में आयुध निर्माणियां पिछड़ जाएंगी। सरकार इसके बाद इन्हें निजी हाथ में सौंप सकती है।