कहा जाता है कि चम्पा षष्ठी के दिन मातारानी को शृंगार अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हंै। सुबह से देर रात तक भजनों की प्रस्तुति महिला मंडली द्वारा दी जाएगी। अगहन मास की पंचमी से 21 दिवसीय व्रत महोत्सव प्रारम्भ हुआ है, जिसका समापन पूर्णिमा 22 दिसंबर को होगा। समापन अवसर पर हवन पूजन के साथ प्रसाद वितरण किया जाएगा। व्रतधारियों से सुषमा गोस्वामी, रंजना गोस्वामी, सावित्री परोहा, सुरेखा केशरवानी, सीमा केशरवानी, रेखा यादव, अर्चना यादव, वर्षा साहू, वैशाली पंड्या, ममता राय व अन्य ने उपस्थिति की अपील की है।
ज्योतिषाचार्य पं. सचिनदेव महाराज के अनुसार अन्न का अनादर कभी नहीं करना चाहिए, लेकिन इस दिन खास सावधानी बरतनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और देवी की कृपा बनी रहती है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार ऐसी मान्यता है जब पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गयी थी, तब मां पार्वती ने अन्न की देवी, मां अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट होकर पृथ्वी लोक पर अन्न उपलब्ध कराकर लोगों की रक्षा की थी। जिस दिन मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई, वह मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा तथा त्रिपुरा भैरवी जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन दान का विशेष महत्व है।