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जबलपुर

 यह है पाताल लोक की सीढ़ियां, शिव आराधना के बाद यहीं गए थे मेघनाद

चारों ओर जंगलों से घिरे रहने वाले इस क्षेत्र के लोग आज भी इससे पाताल लोक की सीढ़ियां मानते हैं। mp.patrika.com आपको इसी रहस्यमय स्थान की सैर करा रहा है।

जबलपुरJun 15, 2016 / 06:13 pm

Abha Sen

patalkote

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जबलपुर। भारत किंवदंतियों का देश है। यहां अजूबों की कमी नहीं है। MP में भी एक ऐसा स्थान है जिसे लोग देखकर आश्चर्य करने लगते हैं। चारों ओर जंगलों से घिरे रहने वाले इस क्षेत्र के लोग आज भी इसे पाताल लोक की सीढ़ियां मानते हैं। 

mp.patrika.com आपको इसी रहस्यमय स्थान की सैर करा रहा है। हजारों फीट जमीन के भीतर जो रास्ता जाता है, वह पाताल लोक का बताया जाता है। इसी रास्ते से मेघनाद भगवान शिव की आराधना करने के बाद पाताल लोक में गए थे। इसे आज पातालकोट के नाम से जाना जाता है। पाताल में बसे इन 12 गांवों के कारण ही इस क्षेत्र का नाम पातालकोट हो गया। पृथ्वी के धरातल से इसकी गहराई इतनी अधिक है कि इस गांव में सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंचती। आइए जानते हैं इसकी खूबियां।

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से 78 किमी. दूर स्थित यह स्थान 12 गांवों का समूह है। प्रकृति की गोद में बसा यह पाताललोक सतपुड़ा की पहाडिय़ों के बीच 3000 फीट ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं से तीन ओर से घिरा है। इस अतुलनीय स्थान पर दो-तीन गांव तो ऐसे हैं जहां आज भी जाना नामुमकिन है। ऐसा माना जाता है कि इन गांवों में कभी सवेरा नहीं होता। 


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यहां के लोग ज्यादातर महुआ से बनी हुई चीजों का सेवन करते हैं। जो भी जड़ी बूटियां गहरे जंगल में पायी जाती हैं उन्हें ऊपर आकर बेच देते हैं और जो भी पैसे मिलते हैं उनसे दूसरी खानें-पीने की चीजें खरीद लेते हैं। अनेक बरसों से इनका जीवन ऐसे ही चल रहा है।


पैराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थान है, जहां से मेघनाथ, भगवान शिव की आराधना कर पाताल लोक में गया था। यही नहीं, यहां के स्थानीय लोग आज भी शहर की चकाचौंध से दूर हैं। उन्हें तो पूरी तरह से यह भी नहीं मालूम की शहर जैसी कोई भी चीज भी है। पातालकोट में ऐसी बेहतरीन जड़ी-बूटियां हैं, जिससे कई जानलेवा बीमारियों का आसानी से इलाज होता है। यहां के स्थानीय लोग इन्हीं जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं।

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इस स्थान पर अब भी कोई जाने की हिम्मत नही करता। बताते हैं कि यहां जंगल में अंदर अंधेरा ही अंधेरा है। जहां ना ही जाना आसाना है और यदि कोई चला भी जाए तो लौटना। मध्यप्रदेश के इस स्थान को कई रोचक कथाओं से भी जोड़कर देखा जाता है जो कि क्षेत्र में प्रचलित हैं।

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