ऐसी होगी व्यवस्था इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में सिग्नल, प्वॉइंट और लेवल-क्रॉसिंग गेट को नियंत्रित करने के लिये कम्प्यूटर आधारित प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग होता है। पारंपरिक रिले इंटरलॉकिंग प्रणाली के विपरीत इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग में सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग होगा। इससे सिग्नल आगे ट्रैक की स्थिति के आधार पर ट्रेनों को रोकने उन्हे आगे बढ़ने, सावधानी बरतने के लिए सूचना मिलती है।
मंडल के इन स्टेशनों पर काम शुरू जबलपुर मंडल के अंतर्गत छतैनी, ब्योहारी, न्यू मझगवां फाटक, हरदुआ, गणेशगंज और असलाना स्टेशनो पर कमीशनिंग की जा रही है। इस रेलखंड पर सुरक्षित परिचालन के लिए दोहरीकरण रेल लाइन में ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट लगाए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से रेल संचालन में संरक्षा, सुरक्षा और परिचालन आसान होगा। अभी पमरे के केवल 23 स्टेशनों पर इस व्यवस्था को अपग्रेड किया गया है अगले दो साल में सभी स्टेशनो को अपग्रेड करने की योजना है।