एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने याचिका में आरोप लगाया गया है कि दोनों यूनिवर्सिटी को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से अनुदान तो मिल रहा है लेकिन कृषि की पढ़ाई के लिए यूजीसी के बनाए नियमों का पालन नहीं हो रहा। इससे उस अनुदान राशि का एक तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है। हाईकोर्ट में दायर इस जनहित याचिका की पैरवी अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा करेंगे। ये दोनों विश्वविद्यालय हैं, जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) और उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी।
आरोप है कि इन दोनों ही यूनिवर्सिटी में कृषि शिक्षण के लिए प्रवेश की खातिर जरूरी प्री एग्रीकल्चर टेस्ट तक नहीं लिया गया। बल्कि छात्रों को सीधे प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि राज्य कृषि यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।
टेक्निकल स्टाफ एसोसिएशन के के पूर्व अध्यक्ष डॉ नाजपांडे का कहना है कि इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर की अनुमति के बिना इन यूनिवर्सिटी में हो रही कृषि की पढ़ाई छात्रों के भविष्य को अंधकार में डालने सरीखा है। डॉ नाजपांडे का मानना है कि जबलपुर और ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर कोर्स को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर के मानक का परीक्षण कर सर्टीफिकेट दिया गया है। दोनों कृषि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता बनाकर कृषि पाठ्यक्रमों की पढाई हो रही है। इसके उलट आरडीयू और विक्रम यूनिवर्सिटी में कृषि शिक्षण को पिछड़े मार्ग पर ढकेला जा रहा है। दोनों विवि को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर के मापदंडों पर सर्टीफिकेट नहीं मिला है। इस जनहित याचिका पर इस सप्ताह सुनवाई की उम्मीद है।