गौरतलब है कि उमरिया में पदस्थ रहीं जज सरिता चौधरी, रीवा से रचना अतुलकर जोशी, इंदौर से प्रिया शर्मा, मुरैना से सोनाक्षी जोशी, टीकमगढ़ से अदिति शर्मा और टिमरिनी से ज्योति बरकड़े को बर्खास्त कर दिया गया था। इनमें से बर्खास्त एक जज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सेवा समाप्ति के आदेश को चुनौती देते हुए बहाली का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सहायता के लिए अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को एमिकस क्यूरी नियुक्ति किया है।
मातृत्व अवकाश को भी मूल्यांकन से जोड़ा गया
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनके मातृत्व और बाल देखभाल के अवकाश की अवधि को भी मूल्याकंन में शामिल किया गया। यह मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है। चार साल तक बेदाग सेवा रिकॉर्ड होने और उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल टिप्पणी या अवलोकन किए बिना, उसे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के अवैध रूप से समाप्त कर दिया गया था। उन्होंने दलील दी कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह भी बताया गया कि उनके जिला प्रधान और सत्र न्यायाधीश द्वारा गोपनीय प्रतिवेदन में बी केटेगरी में रखे जाने के बाद भी सेवा से हटा दिया गया।