14 साल मासूम पीड़ित दमोह जिले का रहने वाला है। उसने 9वीं तक पढ़ाई भी की है। पढ़ने में होनहार मासूम की खुशियों पर उस समय ग्रहण लग गया, जब उसे और परिवार के लोगों को पता लगा कि, वो एड्स पीड़ित है। इस बीमारी ने तो मानों उसके जीवन से खुशियां ही छीन लीं। पीड़ित के माता-पिता 12 साल पहले ही इस दुनिया से गुजर चुके हैं। इसके बाद से उसके पालन पोषण का जिम्मा चाचा पर आ गया। लेकिन, जब चाचा को उसकी बीमारी के बारे में पता लगा, तो उसने बस की टिकट के लिये कुछ रुपये देकर घर से निकाल दिया। अब पीड़ित दमोह से बस में बैठा, तो वो जबलपुर आकर रुकी। यहां बस स्टेंड पर उतरकर यहां वहां देखता रहा, लेकिन कहीं भी उसे अपने लिये ठिकाना नहीं दिखा।
अपनो ने भगाया, गैरों ने दिया सहारा
इस बीच पीड़ित बच्चे तकदीर उसे मोक्ष संस्था ले आई। यहां आशीष ठाकुर ने इस बच्चे को न सिर्फ सहारा दिया, बल्कि एक बड़े भाई की भूमिका अदा की। उसने बच्चे का इलाज कराने और अपनों के बीच रहने का भरोसा दिलाया। मासूम का कहना है कि, अब उसके अपने वही लोग हैं, जो इस आश्रय घर में रहते हैं। वे उसकी दिन-रात देखभाल कर रहे हैं।
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