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आईपीएल

आईपीएल विशेष: ‘सुपर ओवर’ से जुड़ी रोचक बातें जो आप नहीं जानते होंगे

दिल्ली कैपिटल्स और केकेआर के बीच खेला गया था ‘सुपर ओवर’।
साल 2008 में पहली बार प्रयोग में आया था ‘सुपर ओवर’।
वेस्टइंडीज-न्यूजीलैंड के बीच अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच में किया गया था पहला प्रयोग।

Apr 01, 2019 / 11:39 am

Mazkoor

KKR vs KXIP

नई दिल्ली। साल 2008 में शुरू हुआ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का रोमांचक सफर अपने 12वें सीज़न में प्रवेश कर चुका है। क्रिकेट फैंस के बीच इस लीग का आकर्षण इतना अधिक है कि हर सीज़न पिछले सीज़न से इक्कीस साबित होता है।

फैंस के लगाव के चलते ही यह क्रिकेट की दुनिया की सबसे कामयाब लीग्स में से एक है। रोमांचित कर देने वाले शॉट्स हों या सांसे रोक देने वाले कैच, ये सभी चीजें इस खेल के उत्साह को चरम पर पहुंचा देते हैं। आईपीएल से जुड़ी एक रोचक चीज है ‘सुपर ओवर’।

‘सुपर ओवर’ के बारे में तो सभी क्रिकेट फैंस ने सुन रखा होगा, लेकिन इसका विस्तृत नियम क्या है ये बहुत कम लोगों को पता है। तो चलिए, आज हम आपको ‘सुपर ओवर’ से जुड़ी कुछ खास बातें और नियम बताने जा रहे हैं।

‘सुपर ओवर’ का ताज़ा उदाहरण देखने को मिला मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स टीम के बीच। इस मैच में दोनों टीमें एक ही स्कोर पर आउट हो गईं, जिसके बाद मैच के परिणाम के लिए ‘सुपर ओवर’ फेंका गया। इस ‘सुपर ओवर’ में दिल्ली कैपिटल्स ने बाज़ी मारते हुए मुंबई इंडियंस को धूल चटा दी।

यहां तक तो सभी जानते हैं कि मैच में हार जीत का फैसला ना हो तो परिणाम के लिए ‘सुपर ओवर’ फेंफा जाता है, लेकिन अगर ‘सुपर ओवर’ में भी मैच टाई हो जाए तो इसके बाद विजेता का फैसला कैसे हो। ‘सुपर ओवर’ से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

‘सुपर ओवर’ को ‘वन ओवर एलिमिनेटर’ या एलिमिनिटेर के नाम से भी जाना जाता है.

सीमित ओवर क्रिकेट में जब कोई मैच टाई हो जाता है तो विजेता का फैसला करने के लिए ‘सुपर ओवर’ का प्रयोग किया जाता है।

‘सुपर ओवर’ में दोनों टीमों को खेलने के लिए एक-एक ओवर दिया जाता है।

‘सुपर ओवर’ में बनाए गए रन और विकेट्स रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होते हैं। सुपर ओवर में होने वाले मैचों को आधिकारिक रिकॉर्ड में ‘टाई’ के तौर पर ही दर्ज किया जाता है।

‘सुपर ओवर’ में जीतने वाली टीम को उस टूर्नामेंट के किसी नियमित मैच के विजेता की तरह ही विजेता माना जाता है।

‘सुपर ओवर’ में भी टाई हो जाए तो?

‘सुपर ओवर’ के बाद भी अगर मैच टाई हो जाता है तो मैच (मुख्य मैच) में सबसे ज्यादा सिक्स लगाने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है।

इसके बाद भी विजेता का फैसला ना हो तो मुख्य मैच और सुपर ओवर में मिलाकर जिस टीम ने ज्यादा बाउंड्री लगाई होगी, उसे विजेता घोषित किया जाएगा।

इसके बाद भी विजेता का फैसला ना हो तो मुख्य मैच में सबसे ज्यादा चौके लगाने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाएगा। इस बार इसमें सुपर ओवर की बाउंड्री भी शामिल होगी।

इसके बाद भी विजेता का फैसला ना हो तो ‘सुपर ओवर’ की आखिरी गेंद से गिनती शुरू होगी और जिस टीम नें वैध गेंदों पर सबसे ज्यादा रन बनाए होंगे उसे विजेता घोषित किया जाएगा।

क्रिकेट इतिहास का पहला ‘सुपर ओवर’

‘सुपर ओवर’ का प्रयोग सबसे पहले एक टी-20 मैच में किया गया था। यह मैच 26 दिसंबर, 2008 को वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया था।

इस मैच में वेस्टइंडीज की टीम ने एक ओवर में 25/1 रन बनाए थे। जवाब में न्यूजीलैंड की टीम 15/1 रन ही बना पाई थी।

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