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जामनगर रिफाइनरी में अब जेट ईंधन व पेट्रोकेमिकल्स ही बनाएगी रिलायंस इंडस्ट्रीज, AGM से ठीक पहले दी जानकारी

इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जामनगर रिफाइनरी को लेकर रणनीतिक बदलाव किया।
अन्य तहर के ईंधनों को छोड़कर पेट्रोकेमिकल्स कारोबार को बढ़ावा देने पर रिलायंस का जोर।

Aug 11, 2019 / 01:54 pm

Ashutosh Verma

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े धनकुबेर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अब जामनगर रिफाइनरी में केवल जेट ईंधन और पेट्रोकेमिक्लस ही बनाने की योजना पर काम कर रही है।

कंपनी ऑयल-टू-केमिकल्स की रणनीति पर काम कर रही है, जिसमें कई तरह के ईंधनों का उत्पादन बंद कर दिया जायेगा। अब कंपनी का फोकस उच्च वैल्यू वाले उत्पादों को बनाने पर है।

वार्षिक रिपोर्ट में रिलायंस ने दी जानकारी

जमानगर स्थित दुनिया की इस सबसे बड़ रिफाइनरी को नये सिरे से तैयार किया जा रहा है, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के बाद ईंधन की मांग की कमी से कंपनी को न जूझना पड़े।

हाल ही में जारी किये गये वार्षिक रिपोर्ट में कंपनी ने कहा, “जामनगर रिफाइनरी पूरी दुनिया में एक आइकॉन रिफाइनरी के तौर पर होगा, जिसका परफॉर्मेंस अपने क्लास में सबसे सर्वोत्तम होगा।”

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अभी तक इन ईंधनों का होता था उत्पादन

आरआईएल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी का मिशन है कि जामनगर रिफाइनरी को भविष्य के लिए तैयार किया जाये और एक ऐसा रणनीतिक बदलाव किया जाये, जिसमें पर्याप्त मात्रा में ही ऑयल से लेकर केमिकल्स का उत्पादन हो।

मौजूदा समय में, जामनगर रिफाइनरी में वैश्विक बाजारों से खरीदे गये कच्चे तेल को पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, एविएशन टर्बानइ फ्यूल समेत कई तरह के अन्य ईंधन का रिफाइन किया जाता है।

इस रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल्स भी तैयार किया जाता है, जिसकी मदद से प्लास्टिक समेत अन्य उत्पाद तैयार किये जाते हैं।

पेट्रोकेम कारोबार पर रिलायंस का फोकस

अब कंपनी की नई रणनीति के मुताबिक, यहां कच्चे तेल से केवल पेट्रोकेमिकल्स और एरोप्लेन्स के लिए एविएशन टर्बाइन फ्यूल ही तैयार किया जाये। कंपनी ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में कहा, “रिलायंस ने ऑयल-टू-केमिकल्स रणनीति को लेकर अपना विजन तैयार किया है। कंपनी अब जामनगर रिफाइनरी में ईंधन के उत्पादन से आगे बढ़कर केमिकल्स का प्रमुख उत्पादक बनने के लिये यह कदम उठा रही है।”

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क्यो रिलायंस उठा रही इतना बड़ा कदम ?

गौरतलब है कि ईंधन की मांग की तुलना में रिफाइनरी क्षमता अधिक है। एक तरफ ईंधन की मांग कम होते दिखाई दे रही है वहीं, दूसरी तरफ कई सरकारी तेल कंपनियों ने रिफाइनरी क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई हैं।

हालांकि, इस मामले से जुड़े कई जानकारों ने इन कंपनियों की इस योजना पर सवाल भी उठाया है। उनका कहना है कि जब सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में रिफाइनरी क्षमता बढ़ाना सही नहीं होगा।

रिलायंस ने कहा है कि कंपनी का मकसद है कि वो अपने मौजूदा सिस्टम को अपग्रेड करके रिफाइनरी मार्जिन को बढ़ाये। कंपनी केमिकल उत्पादन से अपने अपनी एसेट्स के इस्तेमाल के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा में भी बने रहना चाहती है।

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