उद्योग जगत

Passenger Fares से Indian Railways की कम हो गई कमाई, माल भाड़े से करीब 2800 करोड़ रुपए बढ़ाई

Passenger Fares के माध्यम से रेलवे की 400 करोड़ रुपए कम हो गई
दूसरी तिमाही में पैसेंजर फेयर से Indian Railways की कमाई 155 करोड़ कम हुई थी
दूसरी तिमाही के मुकाबले तीसरी तिमाही में Railways की कमाई में हुआ इजाफा

Jan 28, 2020 / 12:13 pm

Saurabh Sharma

Railway earnings reduced from Passenger fares, freight increased by about Rs 2800 crore

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे की कमाई लगातार कमी देखने को मिल रही है। आंकड़ों के अनुसार पिछली तिमाही के मुकाबले तीसरी तिमाही में पैसेजर फेयर के माध्यम से रेलवे की 400 करोड़ रुपए कम हो गई है। वहीं दूसरी ओर मालभाड़े से कमाई के मामले में रेलवे ने जबरदस्त तरक्की की है। जिसमें 2800 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। वास्तव में सूचना का अधिकार नियम के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में सह आंकड़े सामने आए हैं। दूसरी तिमाही में पहली तिमाही के मुकाबले पैसेंजर फेयर रेलवे की इनकम 155 करोड़ रुपए कम हुई थी। हाल ही में रेवले की ओर यात्री किराए में इजाफा किया है। जिसका असर चौथी तिमाही में देखने को मिल सकता है।

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आरटीआई के जवाब में सामने आए आंकड़े
– मध्य प्रदेश के आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्र शेखर गौड़ ने दाखिल की थी आरटीआई।
– रेलवे को 2019-20 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में पैसेंजर फेयर से 13,398.92 करोड़ रुपए की आय हुई।
– दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर में यह कमाई घटकर 13,243.81 करोड़ रुपए पर आ गई।
– तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर में पैसेंजर फेयर से कमाई 12844.37 करोड़ रुपए रह गई।
– माल भाड़े से रेलवे की इनकम में जबरदस्त सुधार देखने को मिला।
– पहली तिमाही में माल भाड़े से 29,066.92 करोड़ रुपए का राजस्व मिला।
– दूसरी तिमाही में माल भाड़े से आय थोड़ी कम होकर 25,165.13 करोड़ रुपए पर आ गई।
– तीसरी तिमाही में माल भाड़े से आमदनी में सुधार होकर 28,032.80 करोड़ रुपए पर आ गई।

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सेस हटने से मालभाड़े से हुई जबरदस्त कमाई
रेलवे की ओर से माल भाड़े में सुस्ती को दूर करने के लिए ‘व्यस्त मौसम’ सेस को हटा दिया। जिसके साथ ही वातानुकूलित चेयर कार और एक्जीक्यूटिव श्रेणी की सीट वाली ट्रेनों में 25 फीसदी तक छूट देने की शुरुआत की। रेलवे ने 30 साल पुराने डीजल इंजनों को हटाने की भी शुरुआत की। इससे ईंधन खर्च में कमी आई, गैर- किराया राजस्व और भूमि के मौद्रीकरण की दिशा में भी कदम उठाए गए।

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