उद्योग जगत

RBI Insolvency List: 20 माह में रुचि सोया समेत इन कंपनियों की मिला जीवनदान

अगस्त 2017 के बाद केवल तीन कंपनियां ही दिवालिया प्रक्रिया को पूरा कर पाईं।
दो दर्जन से भी अधिक कंपनियों पर 1.28 लाख करोड़ रुपए का एनपीए।
15 कंपनियों अभी भी दिवालिया प्रक्रिया के अंतर्गत।

May 06, 2019 / 12:52 pm

Ashutosh Verma

आरबीआई की दूसरी दिवालिया लिस्ट, 20 महीने बाद केवल तीन कंपनियों की ही पूरी हो सकी दिवालिया प्रक्रिया

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) ने सबसे अधिक एनपीए ( NPA ) वाली कंपनियों की लिस्ट में दो दर्जन से भी अधिक कंपनियों का नाम शामिल किया था। इन दो दर्जन कंपनियों में से अगस्त 2017 के बाद केवल तीन कंपनियां ही कॉर्पाेरेट इन्सॉल्वेंसी रिजाल्युशन प्रोसेस ( CIRP ) के तहत दिवालिया प्रक्रिया ( Insolvency Process ) को पूरी कर पाई हैं। इन कंपनियों का नाम रुचि सोया इंडस्ट्रीज ( Ruchi Soya Industries Limited ), ईपीसी कंस्ट्रक्शन ( EPC Construction ) और एआरजीएल ( ARGL ) है। सीएलएसए (CLSA) की मार्च 2018 तक की लिस्ट के मुताबिक, इन सभी दो दर्जन कंपनियों पर कुल 1.28 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है।

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कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स से मिली मदद

प्रक्रिया पूरी करने वाली तीन कंपनियों की बात करें तो इन तीनों कंपनियों के कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ने बिडर्स को चुन लिया है। कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ने रुचि सोया के लिए बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद, ईपीसी कंस्ट्रक्शन के लिए रॉयल पार्टनर्स और एआरजीएल के लिए कारवाल-आर्सिल को चुना को सफल बिडर्स के रूप में चुना गया है। वहीं, इस लिस्ट में तीन और कंपनियों को बैंको की मदद मिली है।

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तीन अन्य कंपनियों को भी बैंकों से मिली मदद

नवंबर 2018 में भारतीय स्टेट बैंक ने उत्तम गाल्वा स्टील्स के खिलाफ अपनी दिवालिया याचिका को वापस ले लिया है। आर्सेलरमित्तल ने इस मामले में पेमेंट कर सेटलमेंट पूरा कर दिया था। जयसवाल नेको इंडस्ट्रीज की एसेट्स को अधिकतर बैंकों ने एसेट केयर एंड रिकंस्ट्रक्शान के जरिए बैंक ऑफ अमेरिका को बेचा है। जय बालाजी इंडस्ट्रीज को एडलवाइज एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी को बेचा गया है। इसके लिए चार बैंकों ने 63 फीसदी तक का हेयरकट भी किया है।

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अन्य कंपनियां भी दिवालिया प्रक्रिया के अंतर्गत

दो कंपनियों केी तरलता का आदेश भी जारी किया गया है। पिछले साल दिसंबर माह में कोस्टल प्रोजेक्ट्स के लिए तरलता आदेश को जारी किया जा चुका है। वहीं, इसमें दूसरी कंपनी यानी शक्तिभोग दिल्ली हाईकोर्ट के अंतर्गत लिक्विडेट किया जा रहा है। करीब 15 एसेट्स अलग-अलग दिवालिया प्रक्रिया के तहत हैं। इन सभी प्रक्रियाओं में अधिक समय लगने की वजह से इन कंपनियों की हालत खराब होने लगी हैं।

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