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निर्माता ही नहीं, डीलर्स भी परेशान
टाटा मोटर्स के एक अधिकारी का कहना है कि जब मांग ही कम है तो प्रोडक्शन जारी करने का क्या फायदा है। हमने डिमांड के हिसाब से ही प्रोडक्शन करने का फैसला लिया है। जानकारों के मुताबिक, इस शटडाउन से मई-जून माह में इंडस्ट्री आउटपुट करीब 20-25 फीसदी तक कम हो जाएगा, जिसका असर फ्रैक्ट्रियों और डिलरशिप पर भी पड़ेगा। ऑटो इंडस्ट्री की इस सुस्ती के बाद डीलर्स को सबसे अधिक प्रभावित होना पड़ रहा है, क्योंकि बिना बिके हुए गाडिय़ों पर भी आपको जीएसटी जमा करना होता है।
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साल 2019 में हर माह कितना गिरा ऑटो सेल्समाह | यात्री वाहन(फीसदी में) | टू-व्हीलर्स (फीसदी में) |
जनवरी | -1.9 | -5.2 |
फरवरी | -1.1 | -4.2 |
मार्च | -3 | -17.3 |
अप्रैल | -17.1 | -16.4 |
मई | -20.3 | – |
कुल | -8.9 | -11.3 |
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कुल 52 हजार करोड़ रुपए के वाहनों का नहीं है कोई खरीदार
करीब 35 हजार करोड़ रुपए कीमत की 5 लाख से भी अधिक गाडिय़ों का कोई खरीदार नहीं है। जून माह की शुरुआत से ही यह गाडिय़ां डीलर्स के पास खड़ी हैं। टू-व्हीलर्स की बात करें तो यह संख्या 30 लाख से भी अधिक है, जिनकी कुल कीमत करीब 17 हजार करोड़ रुपए है। मई और जून माह के बीच मारुति सुजुकी , टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा समेत 10 में से 7 वाहन निर्माता कंपनियों ने कुछ दिनों के लिए अपना प्लांट बंद करने का फैसला लिया है। इनमें से कुछ कंपनियां आने वाले दिनों में अपने प्लांट बंद करने वाली हैं, वहीं कुछ कंपनियां पहले ही अपने प्लांट बंद कर चुकी हैं।
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