खाताबुक के चीफ एक्जीक्यूटिव रवीश नरेश का कहना है कि खाताबुक की शुरूआत भारत की छोटी दुकानों को बदलने के इरादे के साथ हुई थी। आज हम एक इस क्षेत्र में सबसे बड़े खिलाड़ी हैं और एक ऐसे क्षेत्र के डिजिटलीकरण के लिए काम करते हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने और MSMEs की सहायता के लिए सरकार और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करना चाह रहे हैं।
क्या काम करता है Khatabook- खाताबुक अपनी संपत्ति को फाइनेंशियल सर्विस प्रोडक्ट बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। खाताबुक का कंप्टीशन OkCredit और Paytm से है। खाताबुक छोटे और मझोले उद्यमों को वित्तीय लेनदेन रिकॉर्ड करने की अनुमति देता है, इसके अलावा यह यूजर्स को मैसेज पढ़ने और उन्हें इंसटैंट मैसेज सेव करने की इजाजत देता है। खाताबुक प्लेटफ़ॉर्म अपने लेनदारों को रिमाइंडर भी भेजते हैं। जिससे फिजीकली खाता पुस्तकों को बनाए रखने की आवश्यकता कम हो जाती है।
1 साल में 8 मिलियन लोगों तक बनाई पहुंच- 1 साल से कम वक्त में खाताबुक 11 भाषाओं के लगभग 8 मिलियन लोगों तक पहुंच बनाने में कामयाब रहा है।