चीनी कलर टीवी पर बैन
सरकार ने डॉमेस्टिक मेन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और चीन से रंगीन टीवी के आयात को कम करने के लिए इसके आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशक यानी डीजीएफटी ने अपने नोटिफिकेशन में जानकारी देते हुए कहा कि कलर टेलीविजन की इंपोर्ट पॉलिसी में बदलाव कर इसका इंपोर्ट अब फ्री रेंज से हटाकर प्रतिबंधित वर्ग के तहत कर दिया गया है। किसी सामान के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में डाल देने पर उस सामान का आयात करने वाले के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस लेना होगा। गौरतलब है कि देश में सर्वाधिक रंगीन टेलीविजन सेट चीन से ही आयात किए जाते हैं।
हर तरह से चीन को सबक सिखाने की तैयारी
सरकार चीन को किसी भी मोर्चे पर छोडऩे के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। एलएसी के अलावा अब सरकार ने चीन को कारोबार और व्यापार में ज्यादा नुकसान पहुंचाने की कोशिश में जुटी है। चीन की इकोनॉमी एक्सपोर्ट पर टिकी है। भारत उसका एक बड़ा बाजार है। ऐसे में चीन के सामान को आयात ना कर उसे झटका देने का सबसे कारगर तरीका है। ऐसे में सरकार ने सरकारी खरीद और टेंडर में भी रोक लगा दी है। रेल मंत्रालय, सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय, आईटी मंत्रालय सभी की ओर से चीनी टेंडर को खत्म किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार का यह मकसद भी है कि चीनी कंपनियों का प्रवेश कम से कम भारत में हो ताकि ताकि कोरोना की वजह से कमजोर हुई कंपनियों को सस्ते में ना खरीद सके। इसलिए सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी बदलाव किए हैं।
100 से ज्यादा चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध
गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी कुछ ज्यादा ही बढ़ गईं। जिसके बाद सरकार की ओर से चीनी मोबाइल ऐप को निशाना बनाया, जिनके करोड़ों की संख्या में भारतीय ग्राहक थे। सरकार ने टिकटॉक और यूसी वेब समेत पहले फेज में 59 मोबाइल ऐप को प्रतिबंध किया और उसके बाद दूसरे फेज में पबजी समेत 47 मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया। यानी भारत सरकार अब तक देश से चीन के 106 मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित कर चुकी है। हजारों करोड़ रुपए के सरकारी ठेकों को रद किया जा चुका है।