नई दिल्ली। रेलवे मंत्रालय ने पिछले 18 माह से लगातार तेल कीमतों में कमी होने के बावजूद मालभाड़े और यात्री किराए में कमी नहीं की है। यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से निकलकर आई है। भारतीय रेलवे ने बढ़ती ईंधन कीमतों और हाई स्पीड डीजल के डीरेगुलेशन को देखते हुए ईंधन समायोजन योजना की शुरुआत की थी। इससे बढ़ती तेल कीमतों से रेलवे पर पडऩे वाले प्रभाव को निष्प्रभावी किया जा सके। जिस दौर में तेल कीमतें लगातार ऊंची जा रही थीं, सरकार ने इस आधार पर पूर्व में रेल माल भाड़े एवं यात्री किराए में बढ़ोतरी की, लेकिन जब पिछले लगभग 18 महीनों से एचएसडी की कीमते निरंतर नीचे जा रही हैं, तब बारी जनता को लाभ की आई तो सरकार ने नीति से मुंह फेर लिया।
निगरानी निकाय नहीं
इस नीति को लागू करने का कोई स्वतंत्र और निष्पक्ष निकाय नहीं हैं, इसलिए ईंधन कीमतों में लगातार कमी के कारण जनता को मिलने वाला लाभ रेलवे ने अब तक नहीं दिया। यदि सरकार अपनी स्वयं की बनाई गई नीति पर भी ईमानदारी से अमल नहीं करती है तो फिर सरकार और मुनाफाखोर व्यापारी में अंतर करना बड़ा कठिन होगा। सरकार को ईमानदारी से अपनी बनाई गई नीति पर अमल करना चाहिए, ताकि जनता को डीजल कीमतों की कमी वाले दौर में रेल माल भाड़े और यात्री किराए में राहत मिल सकती है। इससे महंगाई कम करने में मदद मिलेगी।
35 फीसदी गिरे दाम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में पिछले साल कुल 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वहीं गोल्डमैन सैश ने चेताया है कि इस साल कच्चे तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकती हैं। बुधवार को कच्चे तेल की कीमतें 36.76 डॉलर प्रति बैरल पर रही थीं।