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सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने बताया, “यह उद्योग के लिए एक विनाशकारी झटका है। यह ऑपरेटरों की संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति को देखते हुए ताबूत में अंतिम कील ठोंकने जैसा है।” ऑडिट और एनालिस्ट फर्म ईवाई ने कहा कि नई मांग से नेटवर्क के विस्तार और डिजिटल इंडिया को नुकसान होगा। ईवाई इंडिया की ओर से प्रशांत सिंघल ने कहा कि 92,000 करोड़ रुपए की मांग से टेलिकॉम ऑपरेटर्स प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि यह प्रभाव केवल दूरसंचार ऑपरेटरों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि बड़े डिजिटल वेल्यू चेन पर भी प्रभाव पड़ेगा।
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उन्होंने कहा, “सेक्टर को वापस मजबूती में लाने के लिए सभी हितधारकों द्वारा तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है।” इस क्षेत्र में भारी नुकसान हो रहा है और इस पर 7.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। इससे पहले एयरटेल ने कहा कि सरकार को इस फैसले के प्रभाव की समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि दूरसंचार कंपनियों ने अरबों रुपयों का निवेश किया है और वर्तमान में वह गंभीर वित्तीय दबाव का सामना कर रही हैं।
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एयरटेल के एक प्रवक्ता ने कहा, “सरकार को इस फैसले के प्रभाव की समीक्षा करनी चाहिए और पहले से संकट में घिरे उद्योग पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए उपयुक्त तरीके खोजने चाहिए।” एयरटेल के एक बयान में भी कहा गया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं। समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के दायरे में शीर्ष अदालत द्वारा सुनाए गए महत्वपूर्ण फैसले में एक पीठ ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को बकाया राशि का भुगतान करना होगा।