नई दिल्ली। ऑयल और गैस सेक्टर को लेकर भारत सरकार द्वारा बड़ा कदम उठाया गया है। इसके तहत यह बात सामने आ रही है कि कंपनियां गैस की कीमत अपनी मर्जी से तय कर सकेंगी, एक्सप्लोरेशन के लिए अपनी पसंद के ब्लॉक्स ले सकेंगी और सरकार के साथ प्रॉफिट के बजाय रेवेन्यू शेयरिंग करेंगी। इसके अलावा उन्हें नई हाइड्रोकार्बन पॉलिसी के तहत अपने ऑयल एंड गैस फील्ड्स की कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल से जांच कराने की जरूरत भी नहीं होगी। उम्मीद की जा रही है कि इस पॉलिसी से पारदर्शिता बढ़ेगी और बड़ी वैश्विक कंपनियां इस सेक्टर की ओर आकर्षित होंगी। सरकार ने इन सेक्टर्स में बड़े रिफॉर्म्स को आगे बढऩे का काम किया है। खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के द्वारा यह बात सामने आई है कि माइंस एक्ट में बदलाव के लिए कैबिनेट के द्वारा मंजूरी मिली है।
हाइड्रोकार्बन रिजव्र्स के लिए केवल एक लाइसेंस की जरूरत हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (एचईएलपी) के तहत कंपनियों को ऑयल, गैस, शेल और कोल बेड मेथेन जैसे सभी तरह के हाइड्रोकार्बन रिजव्र्स के लिए केवल एक लाइसेंस की जरूरत होगी। जिसके साथ ही मुश्किल फील्ड्स से गैस निकालने की आजादी भी कई कम्पनियों को मिल गई है। अब ये कंपनियां बाजार भाव पर खुद गैस बेचने का काम कर सकती है। इस काम में अब सरकार की कोई दखल नहीं होगी।
गैस फील्ड्स गवर्नेंस ऑयल मिनिस्टर धमेंद्र प्रधान ने कहा, ‘न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (एनईएलपी) की कई लोग इसलिए आलोचना कर रहे थे कि इससे कोई मदद नहीं मिल रही है। इसी पॉलिसी के तहत ऑयल और गैस फील्ड्स का गवर्नेंस पिछले करीब दो दशकों से किया जा रहा था। हालांकि इसे बहुत सफलता नहीं मिली।
एक्सप्लोरेशन सेक्टर में भागीदारी के लिए उत्सुक डेलॉयट के डायरेक्टर रघु यबालुरी ने कहा कि ऑयल प्राइसेज पर लॉन्ग टर्म आउटलुक रखने वाली बड़ी एक्सप्लोरेशन और प्रॉडक्शन कंपनियां भारत में एक्सप्लोरेशन सेक्टर में भागीदारी के लिए उत्सुक होंगी। उन्होंने कहा, ‘यूनिफाइड लाइसेंसिंग पॉलिसी का कॉम्बिनेशन सभी तरह के हाइड्रोकार्बन रिजर्व्स तक एक्सेस दे रहा है, जिससे ऑपरेटर्स को पसंद के ब्लॉक्स चुनने में मदद मिलेगी। इसमें उन्हें प्राइसिंग फ्रीडम भी मिलेगी।
पाबंदियां हटी नई पॉलिसी में खरीदार चुनने या गैस का भाव तय करने के बारे में सभी पाबंदियां हटा दी गई हैं। एक अधिकारी ने कहा कि नई पॉलिसी के तहत दिए गए ब्लॉक्स में प्रॉडक्शन शुरू होने में करीब आठ से दस वर्ष लगेंगे। उन्होंने कहा कि तब तक डोमेस्टिक गैस मार्केट काफी डिवेलप हो चुका होगा।