56 प्रतिशत फंड हुआ पब्लिसिटी पर खर्च
आपको बता दें कि मोदी सरकार के पांच साल के कार्याकल में यानी 2014-15 से 2018-19 तक इस योजना के तहत आवंटित 56 प्रतिशत से अधिक फंड मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च किया गया। जबकि 25 प्रतिशत से भी कम की धनराशि जिलों और राज्यों को दी गई। हैरानी की बात तो ये है कि सरकार ने 19 प्रतिशत से ज्यादा की धनराशि जारी ही नहीं की है। ये आंकड़े 4 जनवरी को लोकसभा में जारी किए गए हैं। साथ ही ये आंकड़े संसद के पांच सदस्यों के पूछे गए सवाल के जवाब में जारी किए गए थे। इन आंकड़ों को केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री डॉ विरेंद्र कुमार ने जारी किया है। इतना ही नहीं इतना ही नहीं अब तक सरकार इस स्कीम पर 644 करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है। इनमें से केवल 159 करोड़ रुपये ही जिलों और राज्यों को भेजे गए हैं। सरकार ने कम
ऐसी रही योजना की हालत
संसद में यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस योजना को विफल माना है मंत्री ने ना में जवाब दिया। उन्होंने बताया कि सरकार ने देश के सभी 640 जिलों में इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया है। जिस पर काम करते हुए सरकार ने 2015 में योजना के पहले चरण में कम लिंगानुपात वाले 100 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया है। उसके बाद के दूसरे चरण में सरकार ने 61 और जिलों को जोड़ा। राज्य मंत्री का यह भी कहना है कि इन 161 जिलों में शुरू की गई ये योजना पूरी तरीके से सफल रही है। साथ ही केंद्रशासित प्रदेशों में गिरावट खास तौर पर तेज रही है।