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50 लाख रुपए हो सकती है अफोर्डेबल हाउसिंग की लिमिट, जल्द सरकार ले सकती है फैसला

अर्फोडेबल हाउस की लिमिट 45 लाख से 50 लाख करने का जल्द होगा फैसला
इस बारे में जल्द होगी पीएमओ और आरबीआई अधिकारियों के बीच बैठक

Sep 28, 2019 / 11:54 am

Saurabh Sharma

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नई दिल्ली। देश में आर्थिक मंदी की जड़े धीरे-धीरे मजबूत होती जा रही है। इसके बाद भी अफोर्डेबल हाउस की डिमांड काफी बढ़ी हुई है। लोगों को आज भी अफोर्डेबल हाउस काफी आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में अब सरकार जल्द अफोर्डेबल हाउस की सीमा को बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है। जानकारों की मानें तो सरकार देश के लोगों को दीपावली के रूप इसका तोहफा भी ना दे दे। इससे पहले सरकार को आरबीआई के आधिकारियों के साथ बैठक भी करनी होगी।

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पीएमओ और आरबीआई अधिकारियों के साथ होगी बैठक
अफोर्डेबल हाउसिंग की लिमिट को बढ़ाने से पहले पीएमओ और आरबीआई के अधिकारियों के बीच बैठक की जाएगी। मीटिंग में हरी झंडी मिलने के बाद ही इसे अमल में लाया जाएगा। जानकारों की मानें तो इसकी घोषणा दीपावली से पहले की जा सकती है। ताकि देश के आम लोगों को इसका फायदा हो सके। जानकारों की मानें तो लोग घर दीपावली के समय ज्यादा खरीदते हैं। वहीं डेवेलपर्स भी फेस्टिव सीजन में ऑफर निकालते हैं। ऐसे में सरकार अगर यह कदम जल्द उठाती है तो लोगों को काफी फायदा होने की उम्मीद है।

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मीटिंग में उठी थी बात
गुरुवार को वित्त मंत्री की बैंकरों के साथ बैठक हुई थी। जिसके बाद बैंकों और फाइनेंस कंपनियों के अधिकारियों ने सस्ते मकानों की परिभाषा बदलने की बात कही थी । उन्होंने कहा था कि जल्द ही 50 लाख रुपए तक के मकानों को अफोर्डेबल हाउस की लिमिट में लाया जाए। वहीं उन्होंने वित्त मंत्री को यह भी जानकारी दी थी कि मौजूदा समय में अफोर्डेबल हाउजिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा लोन की मांग है। इस कदम से रियल एस्टेट में एक बार फिर से तेजी देखने को मिलेगी।

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एनपीए रिस्क होता है कम
बैंक अधिकारियों के अनुसार रियल एस्टेट सेक्टर में लोगों को लोन देने में रिस्क काफी कम होता है। साथ ही ऐसे में लोन के एनपीए बनने पर ज्यादा जोखिम नहीं रहता है। जानकारों के अनुसार बैंकरों और हाउजिंग फाइनेंस द्वारा दिए गए आंकड़ों के बाद वित्त मंत्रालय ने इस मांग पर आगे बढऩे का फैसला किया है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी के अनुसार, सरकार इस वक्त इकॉनमी में तेजी लाने के लिए वह सारे कदम उठाएगी, जिससे उसके खजाने पर बोझ कम पड़े और रिस्क भी कम हो।

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