उद्योग जगत

देश में 1.39 लाख करोड़ रुपए के मकानों को नहीं मिल रहा है खरीदार

एक दशक की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी से गुजर रहा है भारतीय रियल एस्टेट
देश में करीब 1.8 लाख हाउसिंग यूनिट्स हैं अनसोल्ड, सबसे ज्यादा मुंबई महानगर में

Dec 26, 2019 / 12:09 pm

Saurabh Sharma

1.39 lakh crore rupees houses are not getting buyers in the country

नई दिल्ली। मौजूदा समय में भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर ( Indian Real Estate Sector ) बीते 10 सालों की सबसे बड़ी के दौर में है। जो लोग दिल्ली एनसीआर ( Delhi NCR ) और मुंबई ( mumbai ) में अपना आशियाना बनाने का सपना देखते थे, आज इन्हीं इलाकों में हजारों मकान होने के बाद भी खरीदने को तैयार नहीं है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 1.8 लाख मकान बिकने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मार्केट में कोई खरीदार नहीं है। ताज्जुब की बात तो ये है कि इन मकानों की कीमत में 1.39 लाख करोड़ रुपए हैं। जिनके ना बिकने की वजह से कूड़ा हो रहे हैं।

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दिल्ली और मुंबई-एमएमआर कुल का 50 फीसदी अनसोल्ड
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों लोकसभा में एक सवाल के जवाब में जानकारी देते हुए कहा था देश में करीब 225 मिलियन स्क्वेयर फीट एरिया में हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स पर काम हो रहा है। जिनकी कुल लागत 1.39 लाख करोड़ रुपए है। मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन क्षेत्र में करीब 51,721 यूनिट्स बिकने के लिए तैयार हैं। वहीं नेशनल कैपिटल रीजन में करीब 49,027 को कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। बात अगर दूसरे शहरों की करें तो बेंगलूरू 14,342, चेन्नई 3601, कोलकाता 3556, पुणे 6902, हैदराबाद 1878, अहमदाबाद 896 और टियर 2 सिटीज में 12759 मकानों का कोई खरीदार नहीं है। या तो खंडहर में तब्दील हो रहे हैं या हो चुके हैं।

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रघुराम दे चुके थे चेतावनी
आर्थिक मंदी के बारे में भारत को कई आर्थिक एजेंसियां और जानकर चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन रियल एस्टेट को लेकर आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कुछ दिन पहले कहा था कि आर्थिक सुस्ती की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अगर इस सुस्ती को दूर नहीं किया गया तो भारतीय इकोनॉमी को काफी नुकसान होने की उम्मीद है। इस नुकसान का अंदाता सरकार भी नहीं लगा पाएगी।

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कई बिल्डर्स डिफॉल्टर हुए
रियल एस्टेट सेक्टर में छाए आर्थिक संकट की वजह से कई बिल्डर्स डिफॉल्टर की श्रेणी में आ चुके हैं। बिजनेस को काफी नुकसान हो रहा है। इससे पहले यह कहा जा रहा था कि रेरा के आने से पहले बिल्डर्स होमबायर्स को चीट कर रहे हैं। एक प्रोजेक्ट का रुपया दूसरे प्रोजेक्ट में लगा रहे हैं। वहीं नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों में संकट की स्थिति पैदा हो गई है और उनके पास कैश की किल्लत काफी बढ़ गई है। ऐसे में इस सेक्टर को काफी बड़ा नुकसान हुआ है।

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