इंदौर

विश्व पर्यावरण दिवस : कभी पहाड़ी होती थी बंजर, अब छाने लगी है हरियाल

पहाड़ी को हरियाली से ढंकने को तैयार हो गए 20 हजार से अधिक पौधेेट्री ग्रो सघन वन वेलफेयर संस्था ने रेणुका टेकरी पर पत्थरों का सीना चीर रोपे पौधे

इंदौरJun 05, 2022 / 11:48 am

Anil Kumar Dharwa

विश्व पर्यावरण दिवस : कभी पहाड़ी होती थी बंजर, अब छाने लगी है हरियाल

अनिल धारवा
इंदौर।
पत्थर पर पेड़ उगाने वाली कहावत आज तक सिर्फ सुनी ही होगी, लेकिन इसे हकीकत में देखना हो तो इंदौर-नेमावर रोड पर देवगुराडिया से आगे स्थित रेणुका टेकर पर घूम आईए। वन विभाग की यह पहाड़ी कभी अवैध खुदाई के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब हरियाली के लिए पहचानी जाने लगी है। इस पथरीली पहाड़ी पर मिट्टी से अधिक पत्थर हैं, इसीलिए अवैध खनन का केंद्र थी, लेकिन अब यहां 20 हजार से अधिक पौधे खिलखिला उठे हैं। यह एक-दो नहीं चार साल की अथक मेहनत के साथ ही लगातार पौधों को बूंद-बूंद पानी देने की तकनीक से संभव हुआ है और पौधे जिंदा बने हुए हैं। पशुओं के साथ ही हवाओं से भी इन नन्हे पौधों को बचाए रखने की युक्ति की गई, तब कहीं जाकर ये नन्हे पौधे बगैर सुरक्षा के जिंदा रहने के लिए तैयार हैं। जब हालात बदलने का जज्बा और जुनून हो तो पत्थर पर भी पेड़ उगाए जा सकते हैं। इसका प्रमाण दिया है ट्री ग्रो सघन वन वेलफेयर संस्था ने।
संस्था वैसे तो 2012 से पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रही है और पौधे लगाने व उन्हें सरंक्षित करने का संकल्प ले रखा है। 2018 में उन्हें वन विभाग ने एक अधिकारी ने चैंलेज के रूप में इंदौर से 17 किमी दूरी पर नेमावर रोड पर रेणुका टेकरी को पौधारोपण के लिए सौंपी। इस चैलेंज को संस्था के भानू भाई पटेल और सतीश शर्मा ने हाथोहाथ लिया। इसके बाद शुरू हुआ पथरीली पहाड़ी और पत्थरों का सीना चीर कर पौधे लगाने और हराभरा किए जाने का कठिन काम। इस पहाड़ी पर उन्होंने 2018 में 25 हजार से अधिक पौधे लगाए और आज 20 हजार से अधिक पौधे वृक्ष बनने को तैयार हैं। अब ये पौधे अब पूरी पहाड़ी को हरियाली की चादर से ढंक रहे हैं।
आसान नहीं था पथरीली भूमि व ऊंचाई पर पौधे लगाना

सतीश शर्मा बताते हैं कि हमने इंदौर ही नहीं प्रदेश के अनेक शहरों के साथ ही राजस्थान, छड्डाीसगढ़ और गुजरात में भी पौधे लगाए हैं। इंदौर की इस पहाड़ी जहां लगातार अवैध खुदाई जारी थी। पहाड़ी पर मिट्टी के बजाए चट्टानें अधिक थीं। ऊंचाई पर पौधा लगाना भी एक चैलेंज था। पौधे लगाने के लिए गड्ढे तक नहीं खुदते थे। पानी की व्यवस्था नहीं थी। तब हमने पहले छोटे-छोटे गड्ढे खोदे और प्लेट के सहारे से पौधे लगाए। पहाड़ी पर ही बीज और पौधे तैयार किए। तकनीकी का उपयोग किया और इस प्रकार पौधे लगाए कि जमीन से ही नमी मिलती रहे। पशुओं से बचाने के लिए ट्री गार्ड लगाए व तेज हवाओं से बचाने के लिए ग्रीन नेट लगाई। पानी की कमी होने से टैंकरों को सहारा लिया और टंकियां रखीं। पाइप लाइन से पानी टंकियों तक पानी पहुंचाया। एक-एक लीटर की पानी की बोतल हर पौधे के ट्री गार्ड पर बांधी और एक लीटर पानी एक सप्ताह में बूंद-बूंद पौधों को दिया।
60 एकड़ में फैली पहाड़ी पर 500-500 पौधों का क्लस्टर

पटेल बताते हैं कि पहाड़ी 60 एकड़ में फैली है। यहां पर ऊंचाई पर पौधा लगाने भी बड़ा मुश्किल काम था, लेकिन हमने ह्मित नहीं हारी और पूरी पहाड़ी पर ?लस्टर के रूप में पौधारोपण किया। एक क्लस्टर में 500-500 पौधे लगाए गए। नीम, पीपल से लेकर फलदार पौधों का रोपण किया। सारी प्रजातियों के पौधे लगाए गए। इनकी पहरेदारी के लिए चार लोगों की टीम भी यहां तैनात की गई है। जो आज भी पूरी पहाड़ी पर पौधों की सुरक्षा में जुटे रहते हैं।
यहां भी किया हरा

भरा संस्था ने रेणुका टेकरी को ही हरा-भरा नहीं किया, बल्कि जुलाई 2017 में रालामंडल में 10 हजार पौधे लगाए। बिचौली मर्दाना में 2018 में 12500 पौधे, डेली कॉलेज में 22 हजार पौधे, पेड़मी गौशाला में 2018 में 11,111 और चौहानखेड़ी में 2012 में 8500 पौधे रोपे हैं।

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