इस पारिवारिक विवाद का केस लड़ रहे वकील का कहना है कि याचिका में पवन ने बताया था कि बीते 5 साल से उसकी पत्नी बिना किसी कारण के उससे अलग रह रही है। यही नहीं, अब तो उसने अपनी मांग में सिंदूर लगाना भी छोड़ दिया है। इसके साथ ही पत्नी ने उस पर नशा करने और घूंघट करने के लिए परेशान करने का आरोप तो लगाया ही, साथ ही साथ दहेज के लिए प्रताड़ित करने झूठा आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की थी।
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कोर्ट में याचिका पर सुनवाई शुरू हुई, जो लंबे समय तक चलती रही। लेकिन जब कोर्ट में पत्नी बयान देने के लिए आई तो उस वक्त भी उसने सिंदूर नहीं लगाया था। इसपर जब कोर्ट ने महिला से सिंदूर न लगाने पर सवाल किया तो उसने कहा कि वो अब सिंदूर इसलिए नहीं लगाती, क्योंकि अब वो अपने पति के साथ नहीं रहती। यही कारण है कि उसने सिंदूर लगाना छोड़ दिया है। इस पर कोर्ट ने दोनों तरफ से उनके तर्क भी दर्ज कराए।
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फैमिली कोर्ट ने 11 पेज के फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सिंदूर शादीशुदा होने की निशानी है और सिंदूर लगाने से पता चलता है कि महिला विवाहित है और अगर कोई महिला शादीशुदा होते हुए भी सिंदूर नहीं लगाती है तो ये एक प्रकार की क्रूरता है। कोर्ट ने अपने फैसले में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि माना पति ने पत्नी का त्याग नहीं किया, बल्कि पत्नी ने बिना किसी कारण के पति को छोड़ा है, इसलिए कोर्ट ने पत्नी को आदेश दिया कि वह तुरंत पति के पास लौटे।