अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने बताया, देवास रेलवे स्टेशन के पास खसरा नंबर 83, 84 व 85 की जमीन को लेकर विवाद है। यहां मुस्लिम व ईसाई कब्रिस्तान और श्मशान एक साथ हैं। श्मशान की जमीन को लेकर एक अपील तहसील कार्यालय में लगी थी। जिसकी सुनवाई जारी रहने के दौरान गेट पर ताले लगा दिए गए।
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इस बीच कब्रिस्तान के कोषाध्यक्ष इकबाल एहमद ने वक्फ बोर्ड प्राधिकरण के समक्ष याचिका दायर करते हुए ताले खुलवाने की मांग की थी। वक्फ बोर्ड ने ताले खोलने और शवों को दफनाने में परेशानी नहीं आने देने का आदेश जारी कर दिया। जबकि, वक्फ बोर्ड के समक्ष कलेक्टर देवास की ओर से एक अपील दायर करते हुए मामले में उनका पक्ष सुनने को कहा गया था। वक्फ बोर्ड के आदेश पर ताले खोलने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी। हाईकोर्ट में जस्टिस गजेंद्र सिंह की कोर्ट ने सुनवाई की।
निर्णय कानूनी तौर पर गलत
सुनवाई के दौरान कलेक्टर देवास की ओर से पक्ष रखा कि खसरा नंबर 83 की जमीन ईसाई कब्रिस्तान, खसरा नंबर 84 श्मशान की भूमि है। श्मशान की भूमि से ही शव लेकर खसरा नंबर 85 स्थित मुस्लिम कब्रिस्तान में दाखिल होते हैं। ऐसे में विवाद की स्थिति बन सकती है। कोर्ट में वक्फ बोर्ड की ओर से इस पर आपत्ति ली गई। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था, जो अब जारी किया गया। इसमें कोर्ट ने वक्फ बोर्ड प्राधिकरण द्वारा रास्ता खोलने सहित जो आदेश दिए थे, उन्हें खारिज कर कहा कि वक्फ बोर्ड ने जो निर्णय दिया है, वह कानूनी तौर पर गलत है।