हालांकि इंदौर हाईकोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी। यह याचिका पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने दायर की थी जिसमें व्यापम घोटाले की जांच के लिए समय सीमा तय करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस आधार पर सकलेचा की याचिका खारिज कर दी कि उनके पास इसके लिए वैधानिक अधिकार नहीं था।
पारस सकलेचा की याचिका को इंदौर हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की युगल पीठ ने सारहीन करार दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने गलत धारणा के आधार पर यह याचिका प्रस्तुत की है।
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पारस सकलेचा ने इस याचिका में कहा था कि व्यापम घोटाला की नौ वर्ष बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है। याचिका में केंद्र और राज्य सरकार को इस घोटाले की तय समय सीमा में जांच पूरी करने के आदेश देने की मांग की गई।
पारस सकलेचा ने इस याचिका में कहा था कि व्यापम घोटाला की नौ वर्ष बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है। याचिका में केंद्र और राज्य सरकार को इस घोटाले की तय समय सीमा में जांच पूरी करने के आदेश देने की मांग की गई।
कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी और राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी पेश हुए। दोनों अधिवक्ताओं ने याचिका को ही निरस्त करने की मांग की। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की पीठ ने याचिका निरस्त कर दी। व्यापम घोटाला करीब 11 साल पहले सन 2013 में सामने आया था।